Lockdown: सीएए-एनआरसी-एनपीआर छोड़ कोरोना संकट से देश को उबारे सरकार: कपिल सिब्बल
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सरकार से मौजूदा कोविड-19 संकट से निपटने के लिए राष्ट्री्य स्तर पर योजना बनाने को कहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था की लगातार बिगड़ती हालत को देखते हुए कांग्रेस ने सरकार पर राष्ट्रीय नीति बनाने का दबाव बढ़ा दिया है। पार्टी ने कहा है कि नागरिकों पर लॉकडाउन और अर्थव्यवस्था पर तालाबंदी से लंबी नहीं चल पाएगी क्योंकि आर्थिक पहिया रूकने से गहराता संकट चिंताजनक होता जा रहा है। आर्थिक संकट की बढ़ती चुनौती के मद्देनजर ही कांग्रेस ने सरकार से कोरोना महामारी से लड़ने का राष्ट्रीय प्लान तैयार करने का आग्रह किया है।
लंबे समय तक तालाबंदी होगा विध्वंसकारी
कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ पार्टी नेता कपिल सिब्बल ने वीडियो प्रेस कांफ्रेंस में इसकी मांग उठाते हुए कहा कि नागरिकों को लंबे समय तक लॉकडाउन में रखना और अर्थव्यवस्था पर ताला लगा देना कोई नीति नहीं हो सकती। सरकार को गंभीरता से इस पर पुनर्विचार करना होगा। अर्थव्यवस्था का पहिया बंद होने से गरीब, मजदूर और किसान ही नहीं मध्यम वर्ग के बड़े तबके पर इसके दुष्परिणाम की आशंका गहराने लगी है। लेकिन दुख की बात है कि सरकार की तरफ से अभी तक कोरोना से लड़ने की कोई राष्ट्रीय नीति देश के सामने नहीं है। एक मशहूर गाने की पंक्तियों के साथ सिब्बल ने कहा कि सीएए-एनपीआर और एनआरसी जैसे कल के पुराने विवादों से निकलते हुए सरकार को कोविद के नये दौर की चुनौती का समाधान निकालने पर फोकस करना चाहिए। देश को संकट से उबारने की सरकार की ऐसी हर पहल में हम सभी उसके साथ खड़े होंगे।
कोरोना महामारी से लड़ने के लिए तत्काल राष्ट्रीय प्लान लाए सरकार
सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा कानून के तहत केंद्र सरकार के लिए कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर का समग्र प्लान होना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोरोना को महामारी घोषित करने के सात हफ्ते बाद प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की तब तक कोई नीति नहीं बनी। लॉकडाउन के एक महीना बीत जाने के भी ऐसी कोई नीति सामने नहीं आयी है और इसीलिए आर्थिक मोर्चे का संकट गंभीर हो रहा है। सिब्बल ने कहा कि इसे सरकार की आलोचना के रुप में नहीं बल्कि सुझाव के रुप में लिया जाना चाहिए और हम सहयोग करने को तैयार हैं।
सारे खर्च और वेतन का फंड केंद्र सरकार मुहैया कराए
उनका कहना था कि कोरोना की लड़ाई असल में राज्य लड़ रहे हैं और प्रधानमंत्री समय-समय पर देश को संबोधित करने के अलावा ज्यादा कुछ नहीं कर पाए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण जिसके अध्यक्ष खुद पीएम हैं वह भी इस महामारी में अपनी कोई भूमिका लेकर सामने नहीं आया है। लॉकडाउन में बढ़ी आर्थिक चुनौतियों के संदर्भ में सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा कानून के तहत महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन के दौरान राहत के तौर पर सारे खर्च और वेतन का फंड केंद्र सरकार को मुहैया कराना चाहिए।
उद्योग-कारोबार की बिगड़ रही हालत
जबकि केंद्र सरकार ने अभी तक जिम्मेदारी राज्यों पर ही डाल रखी है। वहीं लॉकडाउन ने उद्योगों और कारोबार को तबाह कर दिया है और वित्तीय बोझ का भार उनके भविष्य के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। इस हालत में भी कारोबार जगत अगर अपने वित्तीय देनदारी का भुगतान नहीं करता है तो उस पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में कारोबार-उद्योग जगत की हालत कितनी गंभीर होगी यह समझी जा सकती है। सिब्बल ने महामारी के दौरान न्याय प्रक्रिया को भी आवश्यक सेवाओं में शामिल करने की मांग उठाते हुए कहा कि आम नागरिकों को गहरे संकट के दौर में समय पर न्याय नहीं मिलना एक गंभीर मसला है।
उन्होंने आगे कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बावजूद आम जनता को फायदा नहीं। सरकार इसका फायदा जनता को क्यों नहीं दे रही है। होने वाले वित्तीय घाटे को कौन ठीक करेगा। सिब्बल ने सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि पैसा कहां से आएगा, सरकार के पास इनकम का कोई स्रोत नहीं बचा है। इन चुनौतियों पर सरकार बात नहीं कर रही है।