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पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा TMC में शामिल, कुछ दिनों पहले छोड़ा था BJP का साथ

पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा, पूर्व सीपीएम सांसद मोइनुल हसन, कांग्रेस की सबीना यास्मिन और मिजोरम के ऐडवोकेट जनरल बिश्वजीत देव टीएमसी में शामिल हुए।

By Arti YadavEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 02:34 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 02:59 PM (IST)
पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा TMC में शामिल, कुछ दिनों पहले छोड़ा था BJP का साथ
पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा TMC में शामिल, कुछ दिनों पहले छोड़ा था BJP का साथ

नई दिल्ली (जेएनएन)। राज्यसभा के दो बार सदस्य रह चुके वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए हैं। चंदन मित्रा के अलावा पूर्व सीपीएम सांसद मोइनुल हसन, कांग्रेस की सबीना यास्मिन और मिजोरम के ऐडवोकेट जनरल बिश्वजीत देव ने टीएमसी में शामिल हुए। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में आज शहीद दिवस मना रही है जिसकी रैली में ममता ने भाजपा भारत छोड़ो का नारा भी दिया। ममता ने कहा, हम 15 अगस्त से 'भाजपा हटाओ, देश बचाओ' कैंपेन की शुरुआत करेंगे। यह 2019 के लिए एक बड़ा प्रहार होगा जिसमें बंगाल रास्ता दिखाएगा।'

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भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य चंदन मित्रा ने कुछ दिनों पहले पार्टी से इस्तीफा दिया था। तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि मित्रा टीएमसी में शामिल हो सकते हैं। मित्रा बिहार व पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रभारी रह चुके हैं। मित्रा ने 2014 में हुगली सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लंबे समय से मित्रा भाजपा में अलग थलग पड़े थे। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने उनके इस्तीफा देने पर कहा था कि पार्टी छोड़ने वाले को रोका नहीं जाता है। जो सिद्धांतों से बंधे हैं वे पार्टी के साथ हैं। चंदन मित्रा को पार्टी ने भरपूर दिया है, लेकिन वे छोड़ रहे हैं, यह उनका फैसला है। मित्रा ने भी पार्टी को लेकर कोई नाराजगी नहीं जताई है। मित्रा को पार्टी में आडवाणी खेमे का माना जाता था।

लालकृष्ण आडवाणी के करीबी हैं मित्रा

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाने वाले मित्रा को 2003 में उच्च सदन में मनोनीत किया गया था। उस समय भाजपा नीत राजग की सरकार थी। वहीं, दूसरी बार वह पार्टी के टिकट पर 2010 में मध्य प्रदेश से राज्य सभा के लिए चुने गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के तहत पार्टी में उनके पास मामूली संगठनात्मक जिम्मेदारी ही बची रह गई थी। उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव पश्चिम बंगाल में हुगली से लड़ा था। लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे थे।


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