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राजीव गांधी की 74वीं जयंती आज, सोनिया-राहुल समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

राजीव गांधी की जयंती पर सोनिया, राहुल, प्रियंका समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 08:37 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 09:17 AM (IST)
राजीव गांधी की 74वीं जयंती आज, सोनिया-राहुल समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
राजीव गांधी की 74वीं जयंती आज, सोनिया-राहुल समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की आज 74वीं जयंती है। इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी, राबर्ट वाड्रा समेत कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्र के प्रति उनके प्रयासों को हमेशा याद करते हैं।

40 साल की उम्र में बने थे देश के पीएम

स्वर्गीय राजीव गांधी देश के छठवें और सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। वे सिर्फ 40 साल की उम्र में देश के पीएम बन गए थे। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था और 21 मई, 1991 को आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक भयंकर बम विस्फोट में उनकी हत्या कर दी गई थी। साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके राजीव गांधी भारी बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बने थे।

राजनीति में नहीं थी दिलचस्पी

राजीव गांधी की कभी भी राजनीति में आने की दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन हालात ऐसे बन गए कि उन्हें राजनीति में उतरना पड़ा। आपातकाल के बाद जब इंदिरा गांधी को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, तब कुछ समय के लिए राजीव परिवार संग विदेश शिफ्ट हो गए थे, लेकिन 1980 में छोटे भाई संजय गांधी की मौत के बाद हालात बदल गए। राजीव गांधी को वापस लौटना पड़ा और अपनी मां इंदिरा को सहयोग देने के लिए उन्हें 1982 में राजनीति में उतरना पड़ा। संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में मौत हो गई थी। बता दें कि राजीव गांधी राजनीति में आने से पहले एक एयरलाइन में पाइलट की नौकरी करते थे।

अमेठी से चुनाव जीतकर बने सांसद

राजीव गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने और 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की पूरी जिम्मेदारी राजीव गांधी के कंधों पर डाल दी।


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