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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, 'भारत माता की जय' नारे का हो रहा अनुचित इस्तेमाल

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा राष्ट्रवाद और भारत माता की जय नारे का भारत की उग्र और विशुद्ध भावनात्मक छवि गढ़ने में गलत तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 11:58 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 11:58 PM (IST)
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, 'भारत माता की जय' नारे का हो रहा अनुचित इस्तेमाल
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, 'भारत माता की जय' नारे का हो रहा अनुचित इस्तेमाल

 नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रवाद और 'भारत माता की जय' नारे का भारत की 'उग्र और विशुद्ध भावनात्मक' छवि गढ़ने में गलत तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है। यह लाखों निवासियों और नागरिकों को अलग कर देता है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को एक कार्यक्रम में भाजपा पर निशाना साधते हुए यह कहा।

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 भारत के वर्तमान स्वरूप के निर्माण का श्रेय पहले प्रधानमंत्री नेहरू को जाता है

जवाहरलाल नेहरू के काम और भाषणों पर आधारित पुरुषोत्तम अग्रवाल और राधा कृष्ण की किताब 'हू इज भारत माता' के लोकार्पण के मौके पर मनमोहन सिंह ने कहा कि यदि आज भारत को राष्ट्रमंडल में जोशीले लोकतंत्र के रूप में गिना जाता है और यह दुनिया की एक बड़ी शक्ति माना जाता है, तो उसका श्रेय देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जाता है।

अस्थिरता के दौर में नेहरू ने देश का नेतृत्‍व किया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि नेहरू को देश का मुख्य निर्माता माना जाना चाहिए। नेहरू ने देश का नेतृत्व ऐसे समय में किया था जब वह अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। इसने जीवन के लोकतांत्रिक तरीके, अलग-अलग सामाजिक व राजनीतिक विचारों को अपनाया। उन्होंने कहा, 'बहुभाषी नेहरू ने आधुनिक भारत के अनोखे तरीके से विश्वविद्यालयों, अकादमिक और सांस्कृतिक संस्थानों की नींव रखी।'

नेहरू की किताबों का संग्रह है यह पुस्‍तक

इस किताब में नेहरू की बायोग्राफी 'विश्व इतिहास की झलक' और 'भारत की खोज' के अंशों, आजादी से पहले और आजादी के बाद के उनके भाषणों, लेखों और चिट्ठियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा इसमें उनके कुछ साक्षात्कारों को भी शामिल किया गया है। पहले इस किताब का अंग्रेजी संस्करण आया था और अब इसका कन्नड़ अनुवाद जारी किया गया है।

नेहरू की छवि गलत रूप से दिखाने की कोशिश

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ' देश के एक तबके के पास दुर्भाग्यवश न तो इतिहास पढ़ने का धैर्य है या फिर वे अपने पूर्वाग्रह के अनुसार चलते हैं। नेहरू की छवि गलत रूप से दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मुझे भरोसा है, इतिहास में झूठ को नकारने की क्षमता है और हर चीज सही परिप्रेक्ष्य में रखने की क्षमता है।'


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