'मैं औरों के दलदल में अपना कमल खिलाता हूं'...अटल के प्रसिद्ध 'वन लाइनर'
संसद और जनसभाओं में अटल बिहारी वाजपेयी के कहे वन लाइनर दशकों बाद भी लोगों के जेहन में हैं।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। हरदिल अजीज अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता का एक कारण उनकी वाकपटुता और विनोदी स्वभाव भी था। संसद और जनसभाओं में उनके कहे 'वन लाइनर' दशकों बाद भी लोगों के जेहन में हैं। ऐसे ही एक मौके पर जब उनसे पूछा गया कि भाजपा में ही दो दल (वाजपेयी और आडवाणी के धड़े) हैं तो उन्होंने तपाक से कहा-'मैं किसी दलदल में नहीं हूं। मैं औरों के दलदल में अपना कमल खिलाता हूं।'
बेजोड़ वक्ता वाजपेयी ने राजनीतिक तंज भी बड़े ही मजेदार तरीके से किए। अक्सर उन्हें कठिन सवालों में उलझाने की कोशिश होती थी, लेकिन वह चतुराई से दिए जवाब से सवाल की ही हवा निकाल देते थे। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद में उनकी सरकार को भ्रष्ट, निकम्मा और अक्षम बताया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह सारे शब्द सामने डिक्शनरी रखकर निकाले गए हैं। एक अन्य अवसर पर वाजपेयी जी ने कहा- 'वाजपेयी तो अच्छा है, पर पार्टी ठीक नहीं है। तो अच्छे वाजपेयी का क्या करने का इरादा रखते हैं?'
एक दफा लोजपा नेता रामविलास पासवान ने (तब कांग्रेस के सहयोगी दल) राम मंदिर के मुद्दे पर प्रहार करते हुए कहा था कि भाजपा राम के बारे में बातें करती है, लेकिन उसमें राम नहीं है, जबकि वह मेरे नाम में हैं। इसपर वाजपेयी ने तुरंत कहा- 'पासवान जी, हराम में भी राम होता है।' रामविलास पासवान की पार्टी अब भाजपा का सहयोगी दल है।
इसी तरह पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने एक दफा कहा कि पाकिस्तान कश्मीर के बिना अधूरा है। इस पर वाजपेयी ने कहा- 'पाकिस्तान के बगैर भारत भी अधूरा है।' उनके एक अन्य प्रसिद्ध वनलाइनर में उन्होंने सरकार गिराने को लेकर कहा- 'लोकतंत्र वह है जहां दो बेवकूफ लोग एक ताकतवर इंसान को हरा देते हैं।' इसी तरह अपने संबंध में उन्होंने एक बार कहा था- 'मेरे पास बाप-दादा की संपत्ति नहीं है, लेकिन मेरी मां का आर्शीवाद है।' इसी तरह वर्ष 2004 में बिहार में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- 'मैं अटल भी हूं और बिहारी भी हूं।'