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राज्यसभा सदस्यता पर बोले पूर्व CJI रंजन गोगोई, शपथ ग्रहण के बाद बताऊंगा क्यों लिया फैसला

पूर्व न्यायधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए चुने जाने पर उन्होंने कहा कि वह बुधवार को बताएंगे की आखिर क्यों उन्होंने ये प्रस्ताव स्वीकार किया।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 03:32 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 03:32 PM (IST)
राज्यसभा सदस्यता पर बोले पूर्व CJI रंजन गोगोई, शपथ ग्रहण के बाद बताऊंगा क्यों लिया फैसला
राज्यसभा सदस्यता पर बोले पूर्व CJI रंजन गोगोई, शपथ ग्रहण के बाद बताऊंगा क्यों लिया फैसला

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इस पर रंजन गोगोई ने कहा कि मैं कल दिल्ली जाऊंगा पहले मुझे शपथ लेने दीजिए फिर मैं मीडिया से विस्तार से बात करूंगा कि मैंने यह प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया और मैं क्यों राज्यसभा जा रहा हूं।

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कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश की न्यायपालिका, सरकार और प्रशासन के खिलाफ देश की जनता का आखिरी हथियार है। आज पूरे देश में उसकी स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह उठ गया है। रंजन गोगोई ने ट्रिब्यूनल की नियुक्तियों का मुकदमा सुनते हुए कहा था कि पोस्ट रिटायरमेंट जॉब जो जजों को दी जाती हैं वो प्रजातंत्र पर धब्बा है। सरकार कहना क्या चाहती है कि बी लॉयल यानि लॉयल( ईमानदार) बनो या जज लोया बन जाओ।

बता दें कि रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए चयनित करने के बाद से राजनीतिक गलियारों में हल चल मच गई है। गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर  एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर कहा कि 'क्या यह 'इनाम है'? लोगों को जजों की स्वतंत्रता में यकीन कैसे रहेगा? कई सवाल हैं।'

गौरतलब है कि पूर्व CJI रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पग से रिटायर हुए थे। उनके रिटायर होने से पहले ही उनकी अध्यक्षता में बनी पीठ ने अयोध्या मामले और कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई का कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा। इस दौरान उन्होंनें कुल 47 फैसले सुनाए। जिनमें कई एतिहासिक भी रहे। 

रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ था। उन्होंने बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी। शुरुआत में उन्होंने  गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की थी। उनको संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों का दिग्गज वकील माना जाता था।


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