पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह बोले, गलवन घाटी झड़प में मारे गए थे चीन के 40 सैनिक
पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने कहा है कि गलवन घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में चीन के कम से कम 40 सैनिक मारे गए थे। जानें उन्होंने और क्या खुलासे किए हैं...
मुंबई, रायटर। गलवन घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में चीन के कम से कम 40 सैनिक मारे गए थे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री वीके सिंह ने रविवार को एक टीवी साक्षात्कार में यह बात कही। चीनी सैनिकों की चालबाजी के कारण हुई इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे और 76 सैनिक घायल हुए थे। साक्षात्कार में केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि इस हिंसक झड़प में हमारे 20 सैनिक शहीद हुए तो चीन के भी कम से दोगुने सैनिकों की मौत हुई।
चीन की ओर से अपने किसी सैनिक की मौत के बारे में बयान नहीं देने को लेकर पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि चीन भरोसे के लायक नहीं। चीन ने तो 1962 में भारत से हुए युद्ध से लेकर आज तक कभी अपने किसी सैनिक की मौत को स्वीकार नहीं किया है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में इस घटना में अपने कुछ सैनिकों के हताहत होने की बात कही थी, लेकिन कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी थी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि हिंसक झड़प के बाद भारतीय सैनिकों ने भारतीय सीमा में भटककर आ गए चीनी सैनिकों को उनकी सेना को सौंप दिया है।
हालांकि, भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता भरत भूषण बाबू ने वीके सिंह के बयान पर टिप्पणी से इनकार किया है। उल्लेखनी है कि बीते 15 जून को गलवन इलाके में हुई झड़प के बाद से सेना अलर्ट पर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को चीन के किसी भी दुस्साहस के तुरंत मुंहतोड़ जवाब देने के निर्देश जारी किए हैं। एयरफोर्स और नेवी को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि चीन की किसी भी हिमाकत का माकूल जवाब दिया जा सके। यही नहीं सेना को 500 करोड़ तक के हथियार खरीदने के अधिकार दिए गए हैं।
यही नहीं सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर असाधारण परिस्थितियों में जवानों को हथियारों के इस्तेमाल की भी इजाजत दे दी है। सूत्रों की मानें तो नियमों में बदलाव के तहत फील्ड कमांडरों को अधिकार दिए गए हैं कि वे विशेष परिस्थितियों में अपने जवानों को हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दे सकते हैं। बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि गलवान में हुई झड़प के दौरान भारतीय जवानों ने इसलिए हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि 1996 और 2005 में हुए समझौते में ऐसा ना करने पर चीन और भारत के बीच सहमति बनी थी।