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चार दिन में आएंगे अयोध्या सहित पांच बड़े फैसले, सीजेआई 17 नवंबर को हो रहे हैं सेवानिवृत

सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं। ऐसे मे छुट्टियां निकाल दी जाए तो जस्टिस गोगोई के पास फैसला सुनाने के लिए मात्र चार कार्यदिवस बचे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 02:07 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 09:41 AM (IST)
चार दिन में आएंगे अयोध्या सहित पांच बड़े फैसले, सीजेआई 17 नवंबर को हो रहे हैं सेवानिवृत
चार दिन में आएंगे अयोध्या सहित पांच बड़े फैसले, सीजेआई 17 नवंबर को हो रहे हैं सेवानिवृत

माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद, सबरीमाला मंदिर में दस से पचास वर्ष की महिलाओं के प्रवेश का मामला, राफेल लड़ाकू विमान सौदा, देश के प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना और भारत के प्रधान न्यायाधीश के दफ्तर में सूचना का अधिकार लागू होने का मुद्दा पांच ऐसे ज्वलंत मामले हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। ये पांचों ऐसे मामले हैं जिनका बड़ा प्रभाव दिख सकता है। इन पांचों मामलों की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की है। भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं। ऐसे मे छुट्टियां निकाल दी जाए तो जस्टिस गोगोई के पास इन मामलों में फैसला सुनाने के लिए मात्र चार कार्यदिवस बचे हैं।

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जस्टिस गोगोई के सेवानिवृत होने में 11 दिन बाकी

वैसे तो भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के सेवानिवृत होने में अभी कुल 11 दिन बाकी हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सूची के मुताबिक गुरुवार को इनमें से किसी भी मामले में फैसला नहीं आ रहा है ऐसे में इन मुकदमों के फैसले के लिए मात्र चार कार्यदिवस बचे हैं। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश या मुख्य न्यायाधीश कार्यदिवस पर ही मुकदमों की सुनवाई करें या फैसला सुनाएं, लेकिन सामान्यतौर पर कोर्ट कार्यदिवस पर ही फैसले सुनाता है।

पहला अहम फैसला- अयोध्या मामला

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमें में सुनवाई पूरी करके गत 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 40 दिन तक मैराथन सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।

दूसरा अहम फैसला- सीजेआइ के आफिस में आरटीआइ

दूसरा अहम फैसला इस मुद्दे पर आना है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) का दफ्तर सूचना कानून के दायरे में आएगा कि नहीं। इस मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि किसी भी व्यवस्था को अपारदर्शी बनाए रखने का पक्षधर नहीं है लेकिन एक संतुलन कायम करने और रेखा खींचने की जरूरत है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक छोर (रजिस्ट्री) ने सीजेआई आफिस को आटीआइ के दायरे में घोषित करने और सूचना देने के दिल्ली हाईकोर्ट और सीआईसी के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट म चुनौती दे रखी है। हाईकोर्ट और सीआइसी ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर पब्लिक अथारिटी माना जाएगा और सूचना का अधिकार कानून उस पर लागू होगा।

तीसरा अहम फैसला- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश

कोर्ट ने गत वर्ष 28 सितंबर को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव ठहराते हुए रद कर दिया था। महिलाओं पर यह पाबंदी उनके मासिक धर्म के कारण थी। फैसला 4-1 के बहुमत से था। जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने बहुमत से असहमति जताई थी। इस फैसले का अयैप्पा अनुयायी भारी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मंदिर के भगवान अयैप्पा ब्रम्हचारी हैं और इस आयु की महिलाओं के प्रवेश से मंदिर की प्रकृति बदल जाएगी। फैसले के खिलाफ कुल 55 पुनर्विचार याचिकाओं सहित कुल 65 याचिकाएं कोर्ट में हैं।

चौथा अहम फैसला- राहुल को माफी पर आना है फैसला

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के चौकीदार चोर है बयान पर उनके खिलाफ लंबित अवमानना मामले में उन्हें माफी दिये जाने पर फैसला आना है। इस मामले में भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कोर्ट का हवाला देकर 'चौकीदार चोर है' बयान के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को माफी न दिये जाने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि माफी काफी नहीं है, राहुल गांधी को सजा मिलनी चाहिए। जबकि दो बार खेद जताने के बाद बिना शर्त माफी मांग चुके राहुल गांधी ने कोर्ट से माफी स्वीकार कर अवमानना का केस बंद किये जाने की गुहार लगाई थी।

पांचवां अहम फैसला- राफेल सौदा फैसले पर पुनर्विचार

चुनाव के वक्त बड़ा मुद्दा बने राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर फैसला आना है। कोर्ट ने 36 राफेल विमानों की खरीद के सौदे की कोर्ट की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग खारिज कर दी थी जिसे भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। इसके अलावा ट्रिब्युनल एंड फाइनेंस एक्ट को चुनौती देने के मामले मे भी फैसला आना है।


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