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फारूक और उमर अब्दुल्ला ने 16 पार्टी नेताओं की रिहाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

फारूक और उमर अब्दुल्ला ने पिछले साल पांच अगस्त से हिरासत में लिए गए 16 नेशनल कांफ्रेंस नेताओं की रिहाई के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 05:18 PM (IST)
फारूक और उमर अब्दुल्ला ने 16 पार्टी नेताओं की रिहाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
फारूक और उमर अब्दुल्ला ने 16 पार्टी नेताओं की रिहाई के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। फारूक (Farooq Abdullah) और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने पिछले साल पांच अगस्त से हिरासत में लिए गए 16 नेशनल कांफ्रेंस नेताओं की रिहाई के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर हाईकोर्ट (Jammu and Kashmir High Court) का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में नेशनल कांफेंस (National Conference) ने इन नेताओं के हाउस डिटेंशन को गैरकानूनी बताया है। बता दें कि इन नेताओं को पिछले साल तब उनके घर पर ही हिरासत में रख लिया था जब केंद्र ने राज्‍य के विशेष दर्जे को खत्‍म कर दिया था।

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पार्टी की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि नेकां अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला और नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों के 'अवैध हाउस डिटेंशन' को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दाखिल की हैं। राज्‍य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अली मोहम्मद सागर (Ali Mohammad Sagar), अब्दुल रहीम राथर (Abdul Rahim Rather), नासिर असलम वानी (Nasir Aslam Wani), आगा सैयद महमूद, मोहम्मद खलील बंद, इरफान शाह और सहमीमा फिरदौस की रिहाई के लिए याचिका दायर की है।

बयान के मुताबिक, फारूक अब्दुल्ला ने मोहम्मद शफी उरी (Mohammad Shafi Uri), आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी (Aga Syed Ruhullah Mehdi), चौधरी मोहम्मद रमजान (Chaudhary Mohammad Ramzaan), मुबारक गुल (Mubarak Gul), डॉ. बशीर वीरी (Dr Bashir Veeri), अब्दुल मजीद लारमी (Abdul Majeed Larmi), बशारत बुखारी (Basharat Bukhari), सैफुद्दीन भट शतरु (Saifudin Bhat Shutru), और मोहम्मद शफी (Mohammad Shafi) की नजरबंदी को चुनौती दी है।

दोनों नेताओं की ओर से वरिष्ठ वकील शारिक रेयाज ने याचिकाएं दायर की हैं। पार्टी प्रवक्ता इमरान नबी डार (Imran Nabi Dar) ने कहा कि हाईकोर्ट जानें का निर्णय पार्टी सदस्यों को राहत देने के लिए लिया गया है। इन नेताओं को पब्लिक सेफ्टी एक्‍ट के तहत हाउस डिटेंशन में रखा गया है। उन्‍होंने कहा कि इन नेताओं को हिरासती केंद्रों से इनके घरों पर हिरासत में लिया गया। हमें लगा कि प्रशासन इन नेताओं को रिहा कर देगा लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इन सभी के बिना अनुमति अपने घर से बाहर आने, सार्वजनिक राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा लेने पर भी कथित तौर पर रोक है।

एडवोकेट शारिक रियाज ने कहा कि हमने अपनी याचिका में अदालत को बताया है कि किसी तरह से नेकां नेताओं को गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से हिरासत में लिया गया है, उन्हें घरों में नजरबंद रखते हुए, कहीं भी आने जाने के उनके मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है।

नेकां प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि प्रदेश प्रशासन हमारे नेताओं पर लगायी गई पाबंदियों को हटा लेेगा। लेकिन ऐसा न होते देख हमारे पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा काेई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। हमें अदालत से न्याय की पूरी उम्मीद है।


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