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कृषि मंत्री ने तल्खी भरे अंदाज में कहा-'पीएम-किसान' की राह रोकी, तो हिसाब कर देगा अन्नदाता

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लेकर किसान बहुत उत्साहित हैं। उन्हें मिलने वाले इस लाभ की राह में जो भी आयेगा उसे किसान उखाड़ फेंकेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 08:25 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 08:25 PM (IST)
कृषि मंत्री ने तल्खी भरे अंदाज में कहा-'पीएम-किसान' की राह रोकी, तो हिसाब कर देगा अन्नदाता
कृषि मंत्री ने तल्खी भरे अंदाज में कहा-'पीएम-किसान' की राह रोकी, तो हिसाब कर देगा अन्नदाता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लेकर किसान बहुत उत्साहित हैं। उन्हें मिलने वाले इस लाभ की राह में जो भी आयेगा, उसे किसान उखाड़ फेंकेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने तल्खी भरे अंदाज में कहा कि 'पीएम-किसान' की राह में जो भी बाधा बनेगा अन्नदाता भी उसका हिसाब कर देगा। पश्चिम बंगाल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सिंह ने कहा कि वहां की राज्य सरकार कोई रुचि नहीं ले रही है।

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गैर-भाजपा शासित राज्यों का नाम लिए बगैर कृषि मंत्री सिंह ने कहा कि इसी तरह कई ऐसे राज्य हैं, जो गैर जरूरी पूछताछ करने के बहाने विलंब कर रहे हैं। केंद्र सरकार हर हाल में अप्रैल के पहले सप्ताह में दूसरी किस्त भी जमा करानी शुरु कर देगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पांच मार्च तक लगभग ढाई करोड़ किसानों के खाते में पीएम-किसान की पहली किस्त जमा करा दी गई है।

लोकसभा चुनाव में जाने से पहले केंद्र की भाजपा सरकार अपना चुनावी संकल्प पत्र तैयार करने में जुटी है। इसके लिए 'भारत के मन की बात' की श्रृंखला शुरु की है। इसी के तहत कृषि क्षेत्र में किसानों से सुझाव लेने के लिए कृषि मंत्री ने उत्तरी राज्यों के सात प्रमुख राज्यों के किसानों से सुझाव लिया। दिनभर कई सत्रों में चली लंबी बैठकों में 20 कृषि विशेषज्ञों, 60 लघु व सीमांत किसान प्रतिनिधियों और 35 एफपीओ प्रतिनिधियों से चर्चा कर उनकी राय ली गई।

कृषि मंत्री ने किसान प्रतिनिधियों के अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में भारत निर्माण की नींव रखी है। अगले पांच सालों में हम इसी नींव पर भव्य भारत का निर्माण करेंगे। कृषि मंत्रालय के पांच सालों के कामकाज पर पूछे सवालों पर उन्होंने कहा कि पहले जहां उत्पादन केंद्रित खेती होती थी, उसे बदलकर आय केंद्रित खेती पर जोर दिया गया। इससे किसानों की दशा में सुधार की संभावना है।


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