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जनता की जेब पर डाका नहीं डाल पाएंगी फर्जी जमा कंपनियां, मोदी कैबिनेट का फैसला

आम जनता को बेहद आकर्षक रिटर्न या ब्याज देने का लालच दे कर उनसे जमा राशि वसूलने वाली कंपनियां अब बच नहीं पाएंगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 20 Feb 2018 08:19 PM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2018 12:38 PM (IST)
जनता की जेब पर डाका नहीं डाल पाएंगी फर्जी जमा कंपनियां, मोदी कैबिनेट का फैसला
जनता की जेब पर डाका नहीं डाल पाएंगी फर्जी जमा कंपनियां, मोदी कैबिनेट का फैसला

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम जनता को बेहद आकर्षक रिटर्न या ब्याज देने का लालच दे कर उनसे जमा राशि वसूलने वाली कंपनियां अब बच नहीं पाएंगी। उनके खिलाफ सख्त कानून का मसौदा तैयार हो चुका है और पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है। अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम विधेयक, 2018 को अगले सत्र में ही पारित करवाने की कोशिश होगी। इससे देश भर में गैर कानूनी तरीके से चलाई जाने वाली सभी तरह की पोंजी या जमा स्कीमों पर पाबंदी लगेगी और इन्हें चलाने वालों के खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई सुनिश्चित होगी। इन्हें चलाने वाले लोगों या कंपनियों की परिसंपत्तियों को एक निश्चित समय अवधि में जब्त करने और उनके खिलाफ बड़ा जुर्माना लगाने का रास्ता भी साफ होगा।

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गैर कानूनी तरीके से चलाये जाने वाली जमा स्कीमों पर होगी कार्रवाई

पहली बार देश में इन स्कीमों पर पाबंदी के लिए होगा कानून

चिट फंड कंपनियों पर भी लगाम कसने का फैसला

इसके साथ ही कैबिनेट ने देश में चिट फंड कारोबार को ज्यादा पारदर्शी व उनके बेहतर तरीके से विस्तार के लिए चिट फंड (संशोधन) कानून, 2018 बनाने के मसौदे को भी हरी झंडी दे दी है। चिट फंड चलाने वाले के काम काज को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए इनके तहत काम काज के रिकार्ड के तरीके को बदला जा रहा है। चिट फंड कानून के तहत होने वाली प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिग करने और प्रक्रिया का सारा ब्यौरा सार्वजनिक करने जैसे प्रावधान किया गया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि 'प्राइज चिट' पर लगा प्रतिबंध पहले की तरह ही लागू रहेगा। चिट फंड कंपनी का मुख्य कर्ताधर्ता (फोरमैन) के कमीशन को पांच फीसद से बढ़ा कर 7 फीसद करने का भी प्रावधान इसमें है। चिट फंड कानून 1982 से लागू है और उसके बाद से फोरमैन का कमीशन जस का तस है।

वैसे गैर कानूनी तरीके से चलाये जा रहे जमा स्कीमों पर कानूनी तरीके से पाबंदी लगाने के फैसले को ज्यादा अहम माना जा रहा है। नए कानून में ऐसी व्यवस्था की गई है कि पियरलैस, जीवीजी, कुबेर, हीलियस, सारधा जैसी कंपनियां फिर से जनता को न ठग सके। ये कंपनियां आम जनता से अरबों रुपये ले कर चंपत हो गई थीं। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद इन कंपनियों से ग्राहकों को पैसा वापस नहीं मिल पाया था। नया कानून यह सुनिश्चित करेगा कि इन स्कीमों में फंसने वाले ग्राहकों की राशि नही चुका पाने वाली कंपनियों व उसके प्रमोटरों के खिलाफ जुर्माना भी लगे और उन्हें लंबे समय तक जेल की हवा भी खानी पड़े। इन कंपनियों के एजेंटों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया है। इस कानून के तहत देश में जमा स्कीमों को लेकर एक डाटा बेस भी बनाया जाएगा। इससे फ्राड करने के उद्देश्य से अगर कोई नई स्कीम लांच की जाती है तो उसका तुरंत पता चल जाएगा।

सनद रहे कि पिछले तीन-चार दशकों से देश में लगातार कहीं न कहीं इस तरह की स्कीमों का पता चल रहा था। लेकिन इस बारे में कठोर कार्रवाई इसलिए नहीं हो पा रही थी क्योंकि राज्यों के स्तर पर ढिलाई होती थी। नियमन को लेकर केंद्र व राज्य के बीच स्थिति साफ नहीं होने की वजह से इस तरह की स्कीमें चल रही थी। अब एक केंद्रीय कानून होगा तो स्थिति भी साफ होगी।


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