Puducherry crisis: कांग्रेस का गढ़ रहा पुडुचेरी भी हाथ से फिसलता नजर आ रहा..
Puducherry crisis उपराज्यपाल ने गुरुवार को फ्लोर टेस्ट के निर्देश जारी करते हुए 22 फरवरी की तारीख तय कर दी है। तीन राज्यों के प्रभाव क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश की बदलती राजनीतिक परिस्थिति पर एक नजर.
जेएनएन, नई दिल्ली। Puducherry crisis केंद्र शासित प्रदेश की पुडुचेरी सरकार पर संकट के बादल घिर आए हैं। कांग्रेस के चार विधायकों के इस्तीफे के साथ ही यह अल्पमत में आ गई है। लगातार जनाधार खोती जा रही कांग्रेस के लिए अब दक्षिण में नई मुसीबत खड़ी हो गई। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस विधायकों के लगातार हो रहे इस्तीफे से संकट पैदा हो गया है। मंगलवार को विधायक ए जॉन कुमार के इस्तीफे से तो कांग्रेस लडखड़ा गई। सरकार के अल्पमत में आते ही विपक्ष ने कांग्रेस सरकार से इस्तीफा मांग लिया है। यह सब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के एक दिन पहले हुआ। ऐसे में कांग्रेस को झटका लगना लाजिमी है।
पुडुचेरी विधानसभा की बनावट देखें तो यहां मुख्य रूप से पांच दल सक्रिय हैं। कुल 33 सीटों की छोटी सी पुडुचेरी विधानसभा में 30 विधायक चुनकर आते हैं। तीन सदस्य गैर निर्वाचित हैं। इसमें से भी 23 सीटें ही पुडुचेरी में हैं। इसे शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन इस बार इसके टूटने के आसार साफ नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने 15 सीटें जीतकर द्रमुक के तीन व एक निर्दलीय सदस्य के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस के 10 सदस्य ही रह गए हैं।
स्थानीय मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है कोई भी दल। फाइल फोटो
संकट को कैसे हल करेगी सरकार
इस बीच सरकार के कामकाज पर लगातार सवाल खड़ी करने वाली पुडुचेरी की उपराज्यपाल रही किरण बेदी को हटा दिया गया। कांग्रेस लगातार उन्हें हटाने की मांग कर रही थी। उनका आरोप था कि बेदी विकास कार्यो की अनुमति नहीं दे रही थी। कांग्रेस विधायकों की मांग तो पूरी हो गई लेकिन सरकार अल्पमत में आ गई।
भाजपा को फायदा
पुडुचेरी में पैदा हुए संकट का फायदा अगले चुनाव में भाजपा को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बीते चार सालों में भाजपा ने यहां एक गठबंधन और सत्तारूढ़ गठबंधन पर नियंत्रण स्थापित किया है। कांग्रेस के दो विधायकों का भाजपा में शामिल होना इसका उदाहरण है। उपराज्यपाल किरण बेदी की गतिविधियों से भाजपा को सीधे तौर पर भले ही फायदा नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस को हुए नुकसान से उसे फायदा मिला।
पुडुचेरी की सात सीटें तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश से जुड़ी हुई हैं। फाइल फोटो
राजनीति
यहां के राजनीतिक समीकरण व्यक्तिगत आधार पर ज्यादा हैं। समुदाय, जातिगत फैक्टर मायने नहीं रखते।
पुडुचेरी की अधिकांश आबादी तमिल बोलती है। कई नीतियां, योजनाएं और क्षेत्र जैसे कि शिक्षा तमिलनाडु से प्रभावित हैं।
इन विधायकों ने दिया इस्तीफा
असंतोष का हवाला हुए कांग्रेस मल्लदी कृष्ण राव, नवीचीवम, थिपिनदान व जॉन कुमार इस्तीफा दे चुके हैं।