दुनिया के सभी देशों में है कंप्यूटर मानिटरिंग व इंटरसेप्शन का कानूनी प्रावधान
गृह मंत्रालय ने पहले ही साफ कर दिया है कि कंप्यूटर मानिटरिंग और इंटरसेप्शन पर एजेंसियों को कोई नया अधिकार नहीं दिया गया है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। कंप्यूटर मानिटरिंग और इंटरसेप्शन पर भले ही भारत में विवाद खड़ा हो गया हो और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती तक दे दी गई हो, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दुनिया के कई देशों में सुरक्षा व जांच एजेंसियों को यह अधिकार दिया गया है।
गृह मंत्रालय ने पहले ही साफ कर दिया है कि कंप्यूटर मानिटरिंग और इंटरसेप्शन पर एजेंसियों को कोई नया अधिकार नहीं दिया गया है और केवल 10 एजेंसियों को इसके लिए अधिकृत कर इसे नियमित करने का प्रयास भर किया गया है।
दुनिया में कानूनी मामलों पर रिसर्च करने वाली एक संस्था 'द लॉ लाइब्रेरी आफ कांग्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी देशों ने किसी न किसी रूप में जरूरत के मुताबिक अपनी एजेंसियों को कंप्यूटर मानिटरिंग और इंटरसेप्शन का अधिकार दिया हुआ है। अमेरिका ने इसी साल 'क्लाउड एक्ट 2018' पास किया है। जिसमें सभी आइटी कंपनियों के अपने प्लेटफार्म पर स्टोर किये गए डाटा को जरूरत पड़ने पर एजेंसियों को देने का प्रावधान है। चाहे वह डाटा अमेरिकी सर्वर पर स्टोर किया गया हो या फिर विदेश में किसी सर्वर पर। कई अमेरिकी कंपनी अपना डाटा स्टोरेज की सुविधा विदेशों में बना रखी है, लेकिन नए अमेरिका कानून में विदेशों में रखे डाटा को एजेंसियों के साथ शेयर करना जरूरी बना दिया गया है।
इसी तरह फ्रांस में भी 'नेशनल इंटेलीजेंस एंड सिक्यूरिटी सर्विसेज' को ऐसा ही कानूनी अधिकार हासिल है। वह जरूरत पड़ने पर सर्विस प्रोवाइडर को इंक्रीप्टेड डाटा को डी-इंक्रीप्ट कर देने को कह सकता है। जर्मनी और ब्रिटेन में भी एजेंसियों को इसी तरह का कानूनी अधिकार दिया गया है। आस्ट्रेलिया ने भी हाल ही में ऐसा बिल तैयार किया है।
कांग्रेस भले ही सरकार के ताजा नोटिफिकेशन का विरोध कर रही है। लेकिन सच्चाई यही है कि पी चिदंबरम ने खुद गृहमंत्री रहते हुए 27 अप्रैल 2010 को राज्यसभा में स्वीकार किया था कि सरकार ने इंटरसेप्शन किया है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इसे सही करार भी दिया था। यहीं नहीं, 2013 में संप्रग सरकार के दौरान गृहमंत्रालय ने एक आरटीआइ के जबाव में स्वीकार किया था कि हर महीने 7500 से 9000 के बीच टेलीफोन टैपिंग और 350 से 500 के बीच ईमेल इंटरसेप्शन किये जाते हैं।
गृह मंत्रालय पहले ही साफ चुकी है कि ताजा नोटिफिकेशन में कोई नया कानूनी प्रावधान नहीं जोड़ा गया है और संप्रग सरकार के दौरान 2009 में बने कानून के मुताबिक ही मानिटरिंग और इंटरसेप्शन किया जा रहा है। 10 एजेंसियों को इसके लिए अधिकृत कर इसे नियमित करने का प्रयास किया गया है। पहले कोई भी एजेंसी किसी के कंप्यूटर की मानिटरिंग या टेलीफोन टेप करने की अनुमति मांग लेती थी। लेकिन अब केवल यह अनुमति 10 एजेंसियां ही मांग सकती है। वह भी बिना गृह सचिव की अनुमति के कोई भी मानिटरिंग या इंटरसेप्शन नहीं कर सकती है।