देश के प्रबुद्ध मुस्लिमों ने अल्पसंख्यकों पर प्रधानमंत्री मोदी के नजरिये को सराहा
शिक्षा व स्वास्थ्य की स्थिति पर चिंता जताते हुए मोदी ने सभी चुने हुए सांसदों से अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने पर जोर दिया।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सरकार में आने के बाद बदलाव की बयार महसूस की जाने लगी है। शिक्षा, समाज व संस्कृति के क्षेत्र में काम कर रहे 19 प्रबुद्ध मुस्लिम लोगों के समूह ने मोदी को पत्र लिखकर अल्पसंख्यकों के प्रति उनके नजरिये की सराहना की है। साथ ही माह-ए- रमजान में सरकार के नए कार्यकाल की सफलता की कामना भी की है।
इस समूह का नेतृत्व करने वाले कमाल फारुखी उस मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं, जो मोदी सरकार के तीन तलाक पर रोक के फैसले का विरोध कर रहा है।
समूह में जमीयत उलेमा-ए- हिंद के महासचिव महमूद मदनी, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डा. जफरुल इस्लाम खान, प्रोग्रेसिव मुस्लिम सोशल सर्कल जयपुर के अध्यक्ष व पूर्व आइएएस एआर खान, हज कमेटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व दिल्ली के पूर्व मुख्य आयुक्त आयकर कैसर शमीम, वर्ल्ड एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष व अंजुम इस्लाम मुंबई के सीईओ शबी अहमद, आइआइटीयन व मऊ के मॉर्डन पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष शाहिद अनवर, शिक्षाविद व लेखक कलीमुल हाफिज समेत कुल 19 प्रबुद्ध लोग हैं।
पत्र में 26 मई को सेंट्रल हाल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भाषण का जिक्र है जिसमें उन्होंने वोट बैंक की खातिर राजनीतिक दलों द्वारा देश के अल्पसंख्यकों को छलावे में रखकर उन्हें भ्रमित और भयभीत रखने का जिक्र किया था।
शिक्षा व स्वास्थ्य की स्थिति पर चिंता जताते हुए मोदी ने सभी चुने हुए सांसदों से अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने पर जोर दिया। पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा शिक्षा व स्वास्थ्य, कौशल विकास और अल्पसंख्यकों पर हमला करने वालों को सजा दिलाने की मांग की गई है।
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