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मध्य प्रदेश उपचुनाव में 'हाथी' का रोड़ा, बाकी दल मैदान से बाहर

उपचुनाव में शुरआत से ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच तय था। बसपा ने उपचुनाव की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि उपचुनाव के बाद पार्टी सत्ता के लिए निर्णायक की भूमिका में रहेगी।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:45 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:45 PM (IST)
मध्य प्रदेश उपचुनाव में 'हाथी' का रोड़ा, बाकी दल मैदान से बाहर
मध्य प्रदेश उपचुनाव में 'हाथी' का रोड़ा।

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश के 28 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को छोड़कर कोई तीसरा दल चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। समाजवादी पार्टी ने बुधवार को ही 14 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं तो सपाक्स (सवर्ण, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी संगठन पार्टी) ने 13 सीटों पर, लेकिन उनका उतना प्रभाव नहीं है। उधर, आम आदमी पार्टी (आप) तो मैदान में ही नहीं है। बसपा की चुनौती ग्वालियर-चंबल संभाग में महसूस की जा रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में पार्टी का लगातार घटता जनाधार पार्टी नेताओं के लिए चिंता का कारण है।

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उपचुनाव में शुरआत से ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच तय था। बसपा ने उपचुनाव की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि उपचुनाव के बाद पार्टी सत्ता के लिए निर्णायक की भूमिका में रहेगी। हालांकि जानकारों का मानना है कि ग्वालियर-चंबल संभाग की कुछ सीटों पर ही पार्टी नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल का कहना है कि हम सभी सीटों पर बराबर ध्यान दे रहे हैं। व्यक्तिगत संपर्क और सभाओं के जरिये पार्टी को अच्छा समर्थन मिल रहा है। सपा की बात करें तो छतरपुर की बिजावर सीट से उसके एकमात्र विधायक राजेश कुमार शुक्ला हैं।

ऐसे घटा बसपा का जनाधार

2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत पांच था और दो विधायक जीते थे। चार प्रत्याशी दूसरे और सात प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे। 2013 में वोट प्रतिशत करीब 6.6 था और चार विधायक जीते थे। 2008 में वोट प्रतिशत करीब आठ था और सात विधायक जीते थे। 19 विधायक दूसरे क्रम पर रहे थे।

मैदान में ही नहीं उतरी आप

दिल्ली में सरकार बनाकर सुर्खियों में आई आम आदमी पार्टी प्रदेश में उपचुनाव से दूर है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर फैसला किया गया था कि उपचुनाव से दूर रहेंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत दो के आसपास रहा था।

सपाक्स को भरोसा- बढ़ेगा वोट प्रतिशत

सपाक्स ने 13 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन जीत के नतीजों को प्रभावित करने की गुंजाइश नहीं के बराबर है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि अन्य दलों में जिन्हें टिकट नहीं मिला, उन्होंने संपर्क किया था, लेकिन हम विचारधारा को लेकर आगे बढ़ रहे हैं इसलिए कम प्रत्याशी उतारे। इस बार हमारा वोट प्रतिशत बढ़ेगा। मालूम हो, सपाक्स ने पिछले विधानसभा चुनाव में 110 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और उनका वोट प्रतिशत 1.76 रहा था।


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