इन प्रदेशों की वित्तीय सेहत के लिए आत्मघाती साबित होती हैं चुनावी रेवड़ियां, ये आंकड़े भी देते हैं इसकी गवाही
2020 के चुनाव में सत्ताधारी दल ने 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की बात कही थी। माह में 20 हजार लीटर पानी महिलाओं को बस यात्रा फ्री है। बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा जैसी योजनाएं फ्री हैं। फ्री की रेवड़ियों से दिल्ली सरकार का राजस्व खर्च बढ़ा है।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। राज्यों में होने वाले चुनावों के दौरान जिस तरह से राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे को पीछे छोड़कर चुनावी रेवड़ियां बांटने की राह पर चल पड़ती हैं, वह इन प्रदेशों की वित्तीय सेहत के लिए आत्मघाती साबित होता है। आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं।
दिल्ली
केंद्र के बूते सरप्लस रेवेन्यू की तस्वीर
2020 के चुनाव में सत्ताधारी दल ने 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की बात कही थी। माह में 20 हजार लीटर पानी, महिलाओं को बस यात्रा फ्री है। बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा जैसी योजनाएं फ्री हैं। फ्री की रेवड़ियों से दिल्ली सरकार का राजस्व खर्च बढ़ा है। गत जुलाई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की विधानसभा में रखी गई रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली का राजस्व खर्च 2015-16 के मुकाबले 2019-20 में 50.47 प्रतिशत बढ़ा है जो 2015-16 के मुकाबले 2019-20 में 26,343 करोड़ रुपये से बढ़कर 39,637 करोड़ रुपये हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में दिल्ली का रेवेन्यू सरप्लस 7,499 करोड़ रुपये था। यह दर्शाता है कि सरकार की राजस्व प्राप्तियां राजस्व व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त थीं। रेवेन्यू सरप्लस की वजह कुछ खर्चों को केंद्र द्वारा उठाया जाना है। दिल्ली पुलिस का खर्च भी गृह मंत्रालय उठाता है।
- 2015-16 के मुकाबले इतना बढ़ा है दिल्ली सरकार का राजस्व खर्च
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छत्तीसगढ़
बढ़ रहा राज्य का वित्तीय घाटा
छत्तीसगढ़ में धान उत्पादक किसानों को 9000 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता दी जा रही है। इस योजना के तहत इस वर्ष 5600 करोड़ रुपये दिए जाने हैं। राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत पंजीकृत 3.54 लाख हितग्राहियों को सरकार सालाना सात हजार रुपये दे रही है। बिजली बिल हाफ योजना में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं से 400 यूनिट तक आधा बिल लिया जा रहा है।
- 145 करोड़ से अधिक की छूट मिल चुकी है बिजली बिल हाफ योजना में तीन लाख से ज्यादा घरेलू उपभोक्ताओं को
- 14,600 करोड़ वित्तीय घाटा रहने का अनुमान है 2022-23 में
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पंजाब
आमदनी बढ़ाए बिना बढ़ रहा खर्च
पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली के वादे के साथ सत्ता में आई है। इसी तरह के कुछ अन्य लुभावने वादों का खर्च भी राज्य को उठाना पड़ रहा है। राज्य पर कुल कर्ज तीन लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। राज्य सरकार ने आमदनी के नए स्रोत पर कोई ध्यान नहीं दिया है, बस पुराने स्रोतों को ही बढ़ाने का दावा किया जा रहा है।
- 6,800 करोड़ का सालाना खर्च है मुफ्त तीन सौ यूनिट बिजली के वादे पर
- 12,000 करोड़ सालाना चाहिए महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए
- 45,588 करोड़ राज्य की आय
- 20,122 करोड़ ब्याज के रूप में चुकाने पड़ते हैं राज्य को तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज पर
- 23,835 करोड़ के वित्तीय घाटे का अनुमान जताया गया है वित्त वर्ष 2022-23 में
हिमाचल प्रदेश
हजारों करोड़ के कर्ज से बंट रहीं रेवड़ियां
भाजपा ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया था, जिससे सालाना 500 करोड़ रुपये बोझ पड़ा है। राज्य परिवहन की बसों में महिलाओं का किराया आधा करने से 60 करोड़ रुपये और तीन रसोई गैस सिलेंडर मुफ्त देने से 30 से 35 करोड़ रुपये का दबाव राज्य के बजट पर पड़ा है। इस बार कांग्रेस ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये देने की बात कही है।
- 21,000 करोड़ का कर्ज लिया है राज्य सरकार ने पिछले चार साल में
- 70,000 करोड़ का कर्ज है
- 9,600 करोड़ के वित्तीय घाटे का सामना कर रहा राज्य
- 10-15 हजार करोड़ का कर्ज लेना होगा सालाना, अगर अब किए जा रहे चुनावी वादों पर अमल किया गया
हरियाणा
संभलकर चल रहा सत्ताधारी दल
हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा ने समझदारी के साथ कदम बढ़ाया है। वैसे तो चुनाव में पार्टी से ढाई सौ से ज्यादा वादे किए थे, लेकिन ऐसे वादों से परहेज किया जिनका राज्य के बजट पर कोई अतिरिक्त प्रभाव पड़ता। भाजपा ने कुछ मुफ्त देने का वादा नहीं किया। जजपा ने बुजुर्गों को 5100 रुपये पेंशन की बात कही थी, लेकिन प्रदेश सरकार वर्तमान में बुजुर्गों को पूर्व की भांति 2500 रुपये मासिक पेंशन दे रही है।
- 29,618 करोड़ है राज्य के वित्तीय घाटे का अनुमान
उत्तर प्रदेश
अभी सीमा के भीतर है राज्य का घाटा
सत्ताधारी भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में मुफ्त मुहैया कराने के वादे तो कई किए हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर पूरे नहीं हुए हैं। सभी को लागू न करने पर सवाल इसलिए नहीं खड़ा होता है क्योंकि संकल्प पत्र में किए गए वादे पांच वर्ष के लिए होते हैं। राज्य का घाटा उसके सकल घरेलू उत्पाद के 3.96 प्रतिशत के बराबर है, जो चार प्रतिशत की अनुमन्य सीमा के भीतर है।
- 1,500 करोड़ आवंटित किए गए हैं विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत युवाओं को स्मार्टफोन/टैबलेट मुहैया कराने के लिए
- 7,000 करोड़ का अतिरिक्त दबाव पड़ा चना, नमक और रिफाइंड तेल के मुफ्त वितरण से
- 23,000 करोड़ अतिरिक्त खर्च आया मुफ्त खाद्यान्न वितरण के कदम से
- 3,301 करोड़ का प्रविधान किया गया है बजट में उज्ज्वला योजना की 1.67 करोड़ महिला लाभार्थियों को दीपावली पर मुफ्त सिलेंडर देने के लिए
- 81,170 करोड़ के घाटे का अनुमान है वित्त वर्ष 2022-23 में