कर्नाटक में अयोग्य विधायकों पर फैसला होने तक उपचुनाव टाला गया
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कर्नाटक में विधानसभा की 15 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को टाल दिया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक में विधानसभा उपचुनाव को लेकर जारी असमंजस पर विराम लग गया है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह कर्नाटक में होने जा रहे 15 सीटों पर उपचुनाव को फिलहाल टालने को तैयार है। कर्नाटक विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आयोग ने यह बात कही। निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट अयोग्य विधायकों पर फैसला नहीं दे देता, तब तक के लिए कर्नाटक उपचुनाव स्थगित किया जाता है।
22 अक्टूबर को होनी है सुनवाई
असल में सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के 17 विधायकों की अयोग्यता को चुनौती देने वाली याचिका लंबित है जिस पर 22 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। इससे पहले चुनाव आयोग ने कर्नाटक में विधानसभा की 15 सीटों पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव कराए जाने की घोषणा की थी। मतों की गिनती 24 अक्टूबर को होनी थी। करीब 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराया गया था जिसके चलते ये सीटें खाली हुई थीं।
उपचुनाव टालने का फैसला
अयोग्य ठहराए गए इन 17 विधायकों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इनकी मांग थी कि उन्हें उपचुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट कोई दिशानिर्देश या अंतरिम आदेश जारी करे। सुप्रीम कोर्ट में उनकी इस याचिका पर 22 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। इसी को देखते हुए चुनाव आयोग ने फिलहाल कर्नाटक में उपचुनाव टालने का फैसला किया है।
चुनाव टालने का फैसला अभूतपूर्व : कांग्रेस
नई दिल्ली : कर्नाटक में 15 सीटों पर उप चुनाव टालने के फैसले को कांग्रेस ने अभूतपूर्व बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि दलबदल कर सरकार गिराने वाले विधायकों को अयोग्य ठहराने का स्पीकर का फैसला सही था। सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसले पर रोक नहीं लगाई है, इसका मतलब है कि स्पीकर का आदेश सही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने यह कानून निर्धारित कर रखा था कि वे चुनाव की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। 'अब सुप्रीम कोर्ट खुद चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित चुनावों में हस्तक्षेप कर रहा है। मेरे लिए यह संवैधानिक रूप से अजीब है। सुप्रीम कोर्ट सही है क्योंकि वे अंतिम हैं और इससे आगे कोई अपील नहीं है।'
उधर, कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने कहा है कि यह हमारे लिए एक जीत है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दलबदल विरोधी कानून के वास्तविक अर्थ को देखने जा रहा है। लोगों के जनादेश को धन कमाने का जरिया नहीं बनना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा कि भारतीय राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब इस तरह का निर्णय एक संवैधानिक संस्था द्वारा दिया गया है। कोई भी बता सकता है कि चुनाव आयोग सरकार की कठपुतली है।
क्या था मामला
कर्नाटक में तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के विश्वास प्रस्ताव पर 29 जुलाई, 2019 को मतदान से पहले विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था। सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान सफल नहीं होने के कारण कुमारस्वामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद कर्नाटक में भाजपा की बीएस येद्दियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनी।
विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने सबसे पहले कांग्रेस के दो बागी विधायक रमेश एल जारखिहोली और महेश कुमाथल्ली और एक निर्दलीय नेता आर शंकर को 25 जुलाई को अयोग्य ठहराया गया था। इन विधायकों ने 29 जुलाई को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने अन्य 14 बागी विधायकों को 28 जुलाई को अयोग्य ठहराया।