ईवीएम और वीवीपैट के प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर ला रहा है चुनाव आयोग
आम चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट के शत-प्रतिशत आवंटन को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग जल्द ही ईवीएम प्रबंधन सॉफ्टवेयर भी लाने जा रहा है।
शिवांग माथुर, नई दिल्ली। चुनाव आयोग आगामी आम चुनावों के लिए कमर कस चुका है। आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वैरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की जांच कर राज्यों में समय से भेजने की कवायद शुरू कर दी है।
आयोग इन मशीनों को आम चुनाव से पूर्व सभी राज्यों में सही तरीके से पहुंचाने की जुगत में है। आम चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट के शत-प्रतिशत आवंटन को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग जल्द ही ईवीएम प्रबंधन सॉफ्टवेयर भी लाने जा रहा है।
मशीनों की जांच और ट्रेनिंग देने की तैयारी
मशीनों को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिला अधिकारियों को पहले स्तर की जांच और ट्रेनिंग देने की तैयारी भी की जा चुकी है। आयोग ने बताया है कि आगामी चुनावों की तैयारियों को ध्यान मे रखते हुए प्रारंभिक जांच और जिला अधिकारियों के प्रशिक्षण को अनिवार्य किया गया है, ताकि 2019 के आम चुनावों में सभी 10.6 लाख मतदान केंद्रों में शत-प्रतिशत वीवीपैट मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
लाया जाएगा सॉफ्टवेयर
ईवीएम वीवीपैट को ट्रैक करने के लिए एक जबरदस्त प्रणाली लाई जा रही है जो मशीन के प्रत्येक ऑपरेशन, प्रारंभिक जांच, चुनाव में आने वाली त्रुटियों आदि पर पूरी निगाह रखेगी। प्रयोग में आसान इस सॉफ्टवेयर का पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में अजमेर, इंदौर, दुर्ग, आइजल और महबूबनगर में पायलट आधार पर परीक्षण किया जाएगा।
आयोग की है नजर
आयोग ईवीएम और वीवीपैट के विनिर्माण एवं आपूर्ति की स्थिति पर निरंतर निगाह रखे हुए है। करीब 22.3 लाख बैलट यूनिट, 16.3 लाख कंट्रोल यूनिट और 17.3 वीवीपैट की आम चुनावों में जरूरत होगी। मशीनों की इस संख्या में प्रशिक्षण के लिए बफर स्टॉक में रखी जाने वाली मशीनें शामिल हैं। अभी तक वीवीपैट का 933 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और 18 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में उपयोग किया गया है।
गड़बड़ी की आशंका से मुक्त है वीवीपैट
सात राज्यों - गोवा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में शत प्रतिशत सीटों एवं शत-प्रतिशत मतदान केंद्रों में वीवीपैट का प्रयोग किया गया था। ईवीएम और वीवीपैट का विनिर्माण सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निगम लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति के तहत और चुनाव आयोग की निगरानी में किया जाता है। इस प्रकार से ये मशीनें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका से मुक्त हैं।
चुनावी प्रक्रिया में आई पारदर्शिता
चुनाव आयोग के अनुसार अभी तक वर्ष 2000 के बाद से 113 विधानसभा चुनावों तथा 3 लोकसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग किया गया है। ईवीएम के उपयोग से मतदान केंद्रों पर कब्जा करने तथा बैलेट पेपर की गणना में देरी व त्रुटियों का समय खत्म हो गया है।
इसके अतिरिक्त बैलेट पेपर के उपयोग के जमाने में प्रत्येक विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में मत अवैध पाये जाते थे। कई चुनावों में ऐसी भी घटनाएं हुई कि अवैध मत जीत के अंतर से से भी ज्यादा पाए गए। आयोग का मानना है कि ईवीएम में (वीवीपैट) के जुड़ने से मतदाताओं के विश्वास और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता के बढ़ने में मदद मिली है।