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चुनाव आयोग ने 27 को बुलाई सर्वदलीय बैठक, राजनीतिक दल फिर से छेड़ सकते हैं ईवीएम का राग

यह बैठक इस लिहाज से भी अहम है कि हाल ही में 17 राजनीतिक दलों ने ईवीएम और उसके साथ छेड़छाड़ की आशंका को मुद्दा बनाते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 09:17 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 09:17 PM (IST)
चुनाव आयोग ने 27 को बुलाई सर्वदलीय बैठक, राजनीतिक दल फिर से छेड़ सकते हैं ईवीएम का राग
चुनाव आयोग ने 27 को बुलाई सर्वदलीय बैठक, राजनीतिक दल फिर से छेड़ सकते हैं ईवीएम का राग

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने 27 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक के लिए देश की सात राष्ट्रीय और 51 क्षेत्रीय पार्टियों को न्योता भेजा गया है।

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चुनाव आयोग के मुताबिक इस तरह की बैठक लगभग एक वर्ष के बाद हो रही है। लोकसभा चुनाव से पूर्व आयोग इस बैठक के जरिये सभी दलों के मुद्दों औैर उनकी परेशानियों को जानना चाहता है। यह बैठक इस लिहाज से भी अहम है कि हाल ही में 17 राजनीतिक दलों ने ईवीएम और उसके साथ छेड़छाड़ की आशंका को मुद्दा बनाते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी।

आयोग को भी उम्मीद है कि कुछ दलों द्वारा ईवीएम की कथित हैकिंग और इनसे छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया जा सकता है। लेकिन, ऐसी स्थिति में आयोग याद दिलाएगा कि पिछले ही वर्ष चुनौती देने के बावजूद कोई दल ईवीएम को हैक नहीं कर पाया था। ज्यादातर पार्टियों ने तो चुनौती ही स्वीकार नहीं की थी।

हालांकि, आयोग के अधिकारियों का कहना है कि यह बैठक सिर्फ ईवीएम के संबंध में नहीं है। यह सभी पक्षों की वार्षिक बैठक है। चूंकि लोकसभा चुनाव अगले साल होने वाला है, ऐसे में यह प्रासंगिक है कि चुनाव आयोग सभी दलों से मिलेगा।

बता दें कि इस बैठक के एजेंडे में चुनाव प्रचार के दौरान पेड न्यूज, आचार संहिता का उल्लंघन, भड़काऊ भाषण आदि प्रमुख मुद्दा रहेंगे। वहीं चुनाव आयोग बताएगा कि आम चुनाव से पहले आधुनिक ईवीएम और पेपर ट्रेल मशीनों की खरीद की प्रक्रिया कहां तक पहुंची है।

गौरतलब है कि हाल ही में एक आरटीआई से यह जानकारी मिली थी कि 19 जून तक सिर्फ 22 फीसदी वीवीपैट की ही आपूर्ति की गई है। ऐसी स्थिति में बाकी बचे वीवीपैट की डिलीवरी में देरी निश्चित है। इसके बाद विपक्ष द्वारा इसे मुद्दा बनाया गया था। चुनाव आयोग साल 2019 का आम चुनाव समय से पहले कराने की अटकलों पर भी विराम लगा सकता है।


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