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पराली के जहरीले धुएं से अब नहीं हांफेगी दिल्ली, कैसे मिलेगी राहत

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 113 जिलों को चिन्हित कर वहां बचाव के जरूरी उपायों पर काम भी शुरू कर दिया गया है। सरकार ने इसे लेकर राज्यों को करीब छह सौ करोड़ रुपए की मदद भी जारी की है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 08:31 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 08:08 AM (IST)
पराली के जहरीले धुएं से अब नहीं हांफेगी दिल्ली, कैसे मिलेगी राहत
पराली के जहरीले धुएं से अब नहीं हांफेगी दिल्ली, कैसे मिलेगी राहत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ठंड के दिनों में पराली के जहरीले धुएं से हांफने वाली दिल्ली और एनसीआर को इस बार इससे राहत मिल सकती है। वजह सरकार की मुस्तैदी है जिससे निपटने के लिए अभी से ही पूरी ताकत के साथ काम शुरू कर दिया है। इसके तहत प्रभावित पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 113 जिलों को चिन्हित कर वहां बचाव के जरूरी उपायों पर काम भी शुरू कर दिया गया है। सरकार ने इसे लेकर राज्यों को करीब छह सौ करोड़ रुपए की मदद भी जारी की है। इससे किसानों को फसल कटाई के लिए जरूरी मशीन और पराली को नष्ट करने वाली मशीन खरीदने में मदद दी जाएगी। राज्यों से इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने को भी कहा है।

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केंद्र सरकार ने इसके अलावा राज्यों को जागरूकता फैलाने और फसलों को जलाने पर नजर रखने के लिए प्रत्येक जिलों में एक विशेष टास्क फोर्स भी गठित करने को कहा है। अभी तक यह टास्क फोर्स राज्य स्तर पर गठित किए गए है। केंद्र ने यह जरूरी कदम तब उठाए है, जब पराली के जलाने पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। वावजूद इसके पराली के जलाने की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही थी।
यही वजह है कि पिछले साल दिल्ली और एनसीआर को ठंड के दिनों में इस जहरीले धुएं से कई दिनों तक घिरे रहना पड़ा था। यही वजह है कि सरकार ने इस बार ठंड की दस्तक और फसलों की कटाई शुरू होने से पहले ही इससे बचाव के जरूरी उपायों पर काम करना शुरू कर दिया है।

तीन अलग स्तरों पर काम 
योजना के मुताबिक सरकार इस पूरी समस्या से निपटने के लिए तीन अलग स्तरों पर काम कर रही है, इनमें पहला, किसानों को तकनीकी तौर पर समृद्ध बनाना है, जिसके तहत उन्हें फसलों की कटाई की अत्याधुनिक मशीनों के साथ पराली को खत्म करने वाली मशीनों की खरीदी के लिए भारी अनुदान दिए जा रहे हैं। साथ ही उन्हें इसके फायदे भी समझाए जा रहे हैं। दूसरा, कोई फसल जला ना सके, इसके लिए टास्क फोर्स को भी सक्रिय को भी सक्रिय करने की तैयारी है जो ऐसे किसानों के खिलाफ कार्रवाई भी करेगी क्योंकि नियमों के तहत पराली का जलना प्रतिबंधित है। तीसरा कदम, किसानों को अलग-अलग तरीकों से जागरूक भी किया जा रहा है। इसके तहत राज्यों को करीब 80 करोड़ रुपए दिए गए है।


करीब 12 सौ करोड़ खर्च की योजना
योजना के तहत सरकार ने दो सालों में पराली संकट को पूरी तरह से खत्म करने के लिए करीब 12 सौ करोड़ खर्च करने का योजना बनाई है। इसके तहत वर्ष 2018-19 में करीब छह सौ करोड़ और वर्ष 2019-20 में करीब 560 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके तहत 2018-19 का पैसा राज्यों को जारी कर दिया गया है।

आठ मशीनों से हल होगी समस्या
पराली की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने किसानों को फिलहाल आठ अलग-अलग तरह की मशीनों को खरीदने का प्रस्ताव दिया है। जिन पर छूट भी दी जा रही है। इनमें सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर, हाइड्रोलिक रिवर्ससिविल एमबी प्लो (हल), रोटरी मुलचेर, रोटेवेटरर, पैडी चोपर व जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल आदि मशीनें शामिल है।

 किन राज्यों के कितने जिलों पर है फोकस
पंजाब-22, हरियाणा-20 और उत्तर प्रदेश-71 जिले इसके लिए चिन्हित किए गए है।

 

कब होती है यह समस्या
यह समस्या आमतौर पर 20 सितंबर से 15 नवंबर के बीच अलग-अलग फसलों की कटाई के बाद शुरू होती है, क्योंकि किसानों के पास दूसरी फसल की बुआई के लिए दो से तीन हफ्ते का ही समय होता है। ऐसे में कटाई के बाद वह खेतों को जल्दी साफ करने के लिए खेतों में पराली को जला देते है। इससे चलते उठने वाला धुआं दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कम दबाव का क्षेत्र बनने के चलते आ जाता है।


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