पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों से खेती की लागत बढ़ेगी
माल भाड़े जब बढ़ाये जाते हैं तो इसका असर तमाम दैनिक उत्पादों पर दिखता है
जागरण ब्यरो, नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से आम जनता को फिलहाल राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। मंगलवार को भी सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में 14-14 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है, लेकिन अब यह कीमत उस स्तर पर पहुंच रही हैं जहां इनकी चुभन जनता को ज्यादा हो सकती है। पिछले छह महीने में पेट्रोल में 8.39 रुपये और डीजल में 10.08 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी न सिर्फ आने वाले दिनों खेती की लागत को बढ़ा सकती है बल्कि इससे महंगाई पर जो असर होगा उसे कम करने के लिए आरबीआइ को कर्ज की दरों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।
देश में पेट्रोल व डीजल के खपत का पिछला सबसे व्यापक अध्ययन वर्ष 2013 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने करवाया था। इस अध्ययन के मुताबिक 13 फीसद डीजल की खपत कृषि क्षेत्र में और 28 फीसद माल ढुलाई के क्षेत्र में होती है। तकरीबन 9.55 फीसद डीजल की खपत सवारी बसों में होती है और 3.24 फीसद की खपत रेलवे में होती है।
जाहिर है कि इन सभी क्षेत्रों पर महंगे डीजल की टीस महसूस की जाएगी। यही वजह है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस व पॉलिसी (एनआइपीएफपी) में प्रमुख अर्थशास्त्री व सलाहकार राधिका पांडे का कहना है कि पेट्रोल व डीजल की महंगाई के परोक्ष असर आम जनता को ज्यादा परेशान करते हैं।
मसलन, माल भाड़े जब बढ़ाये जाते हैं तो इसका असर तमाम दैनिक उत्पादों पर दिखता है। लिहाजा महंगाई की दर भी बढ़ती है। अभी तक महंगाई की दर काफी नियंत्रण में रही है, लेकिन यह हिसाब किताब पेट्रोल व डीजल के यूं ही महंगा रहने से गड़बड़ भी हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2018-19 के लिए महंगाई की दर के 4 फीसद (दो फीसद ऊपर या नीचे) का लक्ष्य रखा है। अभी तक कमोबेश इस स्तर को बनाये रखा गया है, लेकिन रिजर्व बैंक को इस बात का एहसास है कि महंगाई दर के इस लक्ष्य को बनाये रखना अब आसान नहीं है। इस वर्ष जून और अगस्त में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआइ दो बार ब्याज दरों को बढ़ा चुका है।
जानकार मान रहे हैं कि ब्याज दरों में एक और वृद्धि अक्टूबर, 2018 के पहले हफ्ते में संभावी है। इससे होम लोन, आटो लोन समेत अन्य दरों में वृद्धि होने के संकेत है। पेट्रोल व डीजल की कीमतों में यह वृद्धि कार उद्योग के लिए भी काफी चिंताजनक खबर है।
कार कंपनियों के अधिकारियों के मुताबिक कुछ हफ्ते में फेस्टीवल सीजन की शुरुआत होने वाली है उसके पहले लगातार इंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से माहौल पर असर पड़ता है। वैसे भी अगस्त, 2018 में पैसेंजर कारों की बिक्री में 2.46 फीसद की गिरावट हुई है।