खालिस्तान पर दोहरी ना-पाक रणनीति, खालिस्तान मुद्दे को नए सिरे से भड़काने में जुटा पाक
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस बात पर भी नजर रखनी होगी कि इस गुरुद्वारे की यात्रा करने वाले भारतीय मूल के प्रवासी लोगों को पाकिस्तान ने आसानी से वीजा देने का ऐलान किया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। आतंकियों को समर्थन देने के मुद्दे पर दुनिया भर में कूटनीतिक शर्मिदगी झेल रहे पाकिस्तान की नई चाल भारतीय खेमे के लिए खासी चिंता का कारण बन सकती है। यह तरकीब है धीरे धीरे खालिस्तान के मुद्दे को जिंदा करना।
भारत को इस बात की पक्की सूचना मिल रही है कि पाकिस्तान की सेना और वहां की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई खालिस्तान को लेकर लंबी अवधि की दोहरी रणनीति को अमल में लाना शुरु कर चुकी है। इसके तहत एक तरफ तो अमेरिका, कनाडा से लेकर ब्रिटेन तक में खालिस्तान समर्थकों को नए सिरे से खाद-पानी डाला जा रहा है तो दूसरी तरफ पीएम इमरान खान पूरी दुनिया में अपने देश की छवि सिख धर्म को प्रोत्साहित करने वाले के तौर पर स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
पाकिस्तान के पीएम ने हाल ही में पंजाब प्रांत के एक संरक्षित वन का नाम बाबा नानक के नाम पर रखने का ऐलान किया और बाबा नानक के नाम पर एक विश्वविद्यालय खोलने की इच्छा भी जताई। भारत ने आधिकारिक तौर पर इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है, लेकिन इमरान खान की इस घोषणा को पाकिस्तान की नई रणनीति के हिस्से के तौर पर ही देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक एक दशक पहले पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर में एक चौराहे का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने का ऐलान किया था लेकिन कट्टरपंथियों की विरोध की वजह से ऐसा नहीं हो सका। देश की खुफिया एजेंसियां लगातार गृह मंत्रालय को यह सूचना दे रही है कि किस तरह से पाकिस्तान की तरफ से खालिस्तान को लेकर भावनात्मक युद्ध लंबी अवधि तक खेलने की तैयारी है।
जानकारों की मानें तो पाकिस्तान पीएम पूरी तरह से पाक सेना के लिए काम कर रहे हैं। अस्सी के दशक में भी पाकिस्तान सेना ने खालिस्तान समर्थकों को हथियारों व पैसे से खूब मदद की थी। उसे समाप्त करने में भारत को काफी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। पाकिस्तान फिलहाल विदेशों में बसे खालिस्तान समर्थकों को जुटाने की कोशिश में है।
हाल ही में ब्रिटेन और अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों की रैली पाकिस्तान की मदद से ही निकाली गई। असलियत में 26 जनवरी, 2019 को वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के सामने खालिस्तानियों के नाम पर निकाले गये जुलूस में पाकिस्तानी ज्यादा थे।
ये वजहें हैं कि भारत करतारपुर कारीडोर को लेकर भी फूंक फूंक कर कदम उठा रहा है। गृह मंत्रालय के भीतर इस कारीडोर से पाकिस्तान स्थित गुरु करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने व वापस आने वालों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की रणनीति तैयार कर रहा है। इस कारीडोर के लिए भारत से पाकिस्तान में प्रवेश की जमीन की पहचान भी कर ली गई है। इस कारीडोर से बिना वीजा के ही लोग गुरुद्वारे जा सकेंगे।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस बात पर भी नजर रखनी होगी कि इस गुरुद्वारे की यात्रा करने वाले भारतीय मूल के प्रवासी लोगों को पाकिस्तान ने आसानी से वीजा देने का ऐलान किया है।