कश्मीरी 370 के खात्मे से खुश, कश्मीरियों की रक्षा के लिए पाक की साजिशें होंगी नाकाम
एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि कश्मीर के लोगों को सीमापार से आने वाली गोलियों का शिकार नहीं बनने देंगे। कश्मीरियों की रक्षा के लिए हम अपनी शक्ति के अनुसार सब कुछ करेंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अधिकांश कश्मीरी अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के निर्णय का समर्थन करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कश्मीर में लागू प्रतिबंधों का मकसद घाटी में घुसपैठ, हिंसा और आतंकवाद फैलाने की पाकिस्तानी कोशिशों पर अंकुश लगाना है।
पत्रकारों के समूह के साथ चर्चा में डोभाल ने कहा कि खुफिया एजेंसियों के मुताबिक गुलाम कश्मीर में लगभग 230 आतंकवादी देखे गए हैं। इनमें से कुछ ने घुसपैठ के जरिए भारत में प्रवेश कर लिया है और अब वे व्यापारियों तथा स्थानीय लोगों को कारोबार करने तथा दुकाने खोलने से रोक रहे हैं।
इस सिलसिले में डोभाल ने पंजाबी बोलने वाले दो आतंकवादियों का जिक्र किया जिनकी पाकिस्तानी आकाओं के साथ बातचीत खुफिया एजेंसियों से रिकार्ड की है। इसमें पाकिस्तानी आका उन्हें अपना काम ठीक से न करने के कारण चेतावनी देते हुए कह रहे हैं कि यदि उन्होंने जल्दी कुछ नहीं किया तो पाकिस्तान की ओर से उन्हें चूडि़यां भेजी जाएंगी।
इसके बाद ही शुक्रवार को दोनों आतंकवादी सोपोर के प्रमुख फल व्यापारी हमीदुल्ला राठेर के यहां धमकी देने पहुंचे थे, लेकिन जब व्यापारी घर पर नहीं मिला तो आतंकवादियों ने उसके 25 वर्षीय पुत्र मोहम्मद इरशाद तथा उसकी ढाई साल की पोती अस्मा जान को गोली मारकर घायल कर दिया। दोनों की हालत नाजुक है।
अस्मा को इलाज के लिए दिल्ली लाया जाएगा। डोभाल ने कहा, 'घाटी में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान के पास आतंकवाद का एकमात्र हथियार है। अगर पाकिस्तान सुधर जाए और दुष्प्रचार से बाज आए तो कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हो सकती है।'
ये पूछे जाने पर कि यदि पाकिस्तान अपने तौरतरीके नहीं बदलता तो उस स्थिति में भारत क्या करेगा, डोभाल ने कहा कि 'हर समस्या का एक समाधान है।'
मोबाइल फोन तथा इंटरनेट सेवाओं पर लागू प्रतिबंधों को उचित ठहराते हुए डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान और आतंकवादी बड़ी आसानी से इनका इस्तेमाल अपनी विध्वंसक गतिविधियों के लिए कर सकते हैं। इन सेवाओं के बगैर भी लोगों का काम चलता है। जब ये सुविधाएं नहीं थीं तब भी लोग अपने रोजमर्रा के सारे कामकाज करते थे।
उन्होंने माना कि इन प्रतिबंधों से लोग परेशान हैं, लेकिन साथ ही जोड़ा कि किसी भी समाज में लोग जो उनके पास हैं उससे ज्यादा की चाहत रखते हैं, लेकिन मेरे हिसाब से जिंदगी ज्यादा महत्वपूर्ण है। फिलहाल 92.5 प्रतिशत जम्मू-कश्मीर बिना प्रतिबंधों के है।
डोभाल ने कहा कि प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। कश्मीर, जम्मू तथा लद्दाख के 199 पुलिस जिलों में से केवल 10 जिलों में ही अब प्रतिबंधात्मक आदेश लागू हैं। सभी क्षेत्रों में लैंडलाइन टेलीफोन चालू कर दिए गए हैं।
राजनीतिक नजरबंदियों के बारे में डोभाल ने कहा कि ये नजरबंदियां रक्षात्मक प्रकृति की हैं और कानून के तहत इनकी अनुमति है। इसका मतलब है कि सरकार अदालत के प्रति जवाबदेह है और यदि वो कोई भी ऐसा काम करती है जो न्यायिक नहीं है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अनुसार, 'पाकिस्तान कश्मीर में समस्या पैदा करने पर उतारू है। वो किसी भी तरह घाटी में अशांति फैलाना चाहता है। इससे उसके भारत-विरोधी दुष्प्रचार को हवा मिलेगी। 'जम्मू एवं कश्मीर में यदि कोई शांति स्थापित करना चाहता है तो वो भारत है। हम यहां के लोगों को पाकिस्तान की साजिशों और सीमापार से आने वाली गोलियों का शिकार नहीं बनने देंगे। कश्मीरियों की रक्षा के लिए हम अपनी शक्ति के अनुसार सब कुछ करेंगे।'