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आतंक पर चीन का दोहरा चरित्र हुआ बेनकाब, भारत की अजहर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश जारी रहेगी

यूएनएससी के 15 में से 14 सदस्य जैश सरगना अजहर को दुनिया की शांति के लिए खतरा मान रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ चीन अजहर के बचाव में बार-बार खड़ा हो रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 07:31 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 01:31 AM (IST)
आतंक पर चीन का दोहरा चरित्र हुआ बेनकाब, भारत की अजहर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश जारी रहेगी
आतंक पर चीन का दोहरा चरित्र हुआ बेनकाब, भारत की अजहर पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश जारी रहेगी

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के प्रतिबंध पर चीन ने भले ही एक बार फिर अड़ंगा लगा दिया हो, लेकिन भारत की कोशिशों पर कोई फर्क नहीं आने वाला है। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के दूसरे सदस्यों के साथ मिल कर अजहर पर यूएन की 1267 समिति के तहत अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की कोशिश जारी रखेगा। इस कोशिश के पीछे एक उद्देश्य यह भी है कि आतंकवाद के मुद्दे पर चीन की दोहरी नीति को भी सामने लाया जाए। साथ ही पूरी दुनिया के सामने इस तथ्य को भी लाया जाए कि मसूद अजहर और इसके खूंखार आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को बचाने में किस तरह से पूरा पाकिस्तानी अमला इस्तेमाल किया जाता है।

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सूत्रों के मुताबिक जैश ए मोहम्मद के बारे में एक सोच रखने वाले दूसरे तमाम देशों मसलन अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि के साथ भारत लगातार संपर्क में है। आगे भी इनके साथ विमर्श जारी रहेगा। चीन के अडि़यल रवैये के बावजूद अगले तीन महीनों के भीतर दूसरा प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में उक्त प्रावधान के तहत लाया जा सकता है। चीन चाहे जो भी बहाना बनाये, लेकिन दुनिया में उसकी यह कलई लगातार खुल रही है कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर दूसरे देशों को साथ लेकर नहीं चलता।

चीन की सरकार ने गुरुवार को कहा है कि उसने इस प्रस्ताव का विरोध इसलिए किया है कि संबंधित मुद्दे पर सभी देशों के बीच व्यापक समझ बूझ पैदा हो सके। सूत्रों के मुताबिक एक तरफ यूएनएससी के 15 में से 14 सदस्य जैश सरगना अजहर को दुनिया की शांति के लिए खतरा मान रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ चीन इकलौता देश है जो अजहर के बचाव में बार-बार खड़ा हो रहा है।

अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत अपनी मुहिम इसलिए भी नहीं छोड़ सकता कि उसका संगठन भारत की शांति व स्थायित्व के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। कश्मीर में अलगाववादी वारदातों के जरिए यह भारत की संप्रभुता व अखंडता को चुनौती पेश कर रहा है।

हाल ही में पुलवामा में भारतीय सैन्य बल पर हमला इसी संगठन ने करवाया। इसके प हले भारतीय संसद, पठानकोट और उरी जैसे हमले इसी ने करवाये। कश्मीर में मसूद अजहर के दो भतीजे मारे जा चुके हैं जो बताता है कि वह भारत विरोधी गतिविधियों में किस हद तक जा सकता है।

भारत जानता है कि मौलाना अजहर पर नकेल कसने का सीधा असर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर दिखेगा। दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान यह समझते हैं कि एक निश्चित समय के बाद भारत अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाना बंद कर देगा। लेकिन भारत की रणनीति ऐसी बिल्कुल नहीं है। भारत यूएन के नियमों के मुताबिक लगातार अपनी कोशिश जारी रखेगा।


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