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तमिलनाडु विधानसभा में राज्यपाल संबोधन के दौरान DMK विधायकों का वॉकआउट, लगाया ये आरोप

उनका आरोप है कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने अपने भाषण के दौरान डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन को नागरिकता संशोधन कानून मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 11:33 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 11:45 AM (IST)
तमिलनाडु विधानसभा में राज्यपाल संबोधन के दौरान DMK विधायकों का वॉकआउट, लगाया ये आरोप
तमिलनाडु विधानसभा में राज्यपाल संबोधन के दौरान DMK विधायकों का वॉकआउट, लगाया ये आरोप

चेन्नई, एएनआइ। द्रविड़ मुनेत्र काड़गम (Dravida Munnetra Kazgham- DMK) के विधायकों ने तमिलनाडु विधानसभा से उस वक्त वॉकआउट कर दिया, जब राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित अपना भाषण दे रहे थे। उनका आरोप है कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने अपने भाषण के दौरान डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन को नागरिकता संशोधन कानून मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी।

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23 दिसंबर, 2019 को निकाली थी रैली

बता दें कि डीएमके ने अपने कई सहयोगियों और अन्य संगठनों के साथ 23 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में एक रैली निकाली थी। रैली का नेतृत्व डीएमके अध्यक्ष एम.के.स्टालिन ने किया था। इससे पहले 18 दिसंबर को स्टालिन की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह कहा गया था कि CAA (Citizenship Amendment Act) को रद किया जाए और इसके साथ ही फैसला किया गया कि 23 दिसंबर को जुलूस निकाला जाएगा।

इससे पहले कर्नाटक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न हिस्सों में नागरिकता कानून को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ था। जहां एक तरफ बेंगलुरु में हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारी हिस्सा लेने पहुंचे थे। वहीं उत्तर प्रदेश में कई दिनों तक हिंसक प्रदर्शन हुए। इस हिंसा में करीब 18 लोगों को जान भी चली गई थी। इसके चलते 15 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थी। इस दौरान कई प्रतियोगी परीक्षाएं भी स्थगित करनी पड़ी थीं।

इस सबके बीच नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नागपुर में समर्थन रैली निकाली गई थी। नागपुर में कानून के समर्थन में विशाल तिरंगा यात्रा निकालकर बिल का समर्थन किया गया था। इसमें भाजपा, लोक अधिकार मंच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, समेत कई संगठन शामिल हुए थे।

क्या है कानून

नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए बौद्ध, इसार्इ, सिख हिंदू और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। इन सभी में भी उन ही लोगों को नागरिकता मिलेगी, जिन्होंने 2014 से पहले देश में प्रवेश किया है।


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