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सेतुसमुद्रम परियोजना को शुरू करने की मांग, द्रमुक सांसद टीआर बालू ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

वरिष्‍ठ नेता टीआर बालू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सेतुसमुद्रम परियोजना के कार्यों को दोबारा शुरू कराए जाने की मांग की है। जानें क्‍या है पूरा मामला...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 05:38 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 05:38 PM (IST)
सेतुसमुद्रम परियोजना को शुरू करने की मांग, द्रमुक सांसद टीआर बालू ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
सेतुसमुद्रम परियोजना को शुरू करने की मांग, द्रमुक सांसद टीआर बालू ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

चेन्‍नई, पीटीआइ। वरिष्‍ठ द्रमुक नेता एव लोकसभा सांसद टीआर बालू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सेतु समुद्रम परियोजना के कार्यों को दोबारा शुरू कराए जाने की मांग की है। बालू ने पत्र में कहा है कि मैं अपनी पार्टी द्रमुक की ओर से सेतु समुद्रम परियोजना को शुरू किए जाने को लेकर राज्‍य के लोगों की चिंताओं से अवगत कराना चाहता हूं। मैं आपसे गुजारिश करता हूं कि आप समुद्रम परियोजना को धैर्य से समझें और इसको शुरू करने पर विचार करें।

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बता दें कि भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की चेन है, जिसे भारत में रामसेतु, जबकि बाहर के मुल्‍कों में एडम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है। इस इलाके में समुद्र उथला है, जिससे यहां बड़ी नावें और जहाज चलाने में समस्‍या आती है। लगभग 48 किलोमीटर की लंबाई वाला यह पुल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरू मध्य को एक-दूसरे से अलग करता है।

साल 1993 में नासा ने इस इलाके की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं, जिसमें पुल को मानव निर्मित बताया गया था। साल 2005 में तत्‍कालीन यूपीए सरकार ने इसी समुद्री रास्ते को जहाजों के लिए सुगम बनाने के इरादे से सेतुसमुद्रम परियोजना का ऐलान किया था। यह यूपीए और द्रमुक की महत्वाकांक्षी परियोजना मानी जाती है। इसके लिए इलाके की कुछ चट्टानों को तोड़ा जाना जरूरी है। रामसेतु के नष्ट होने से पर्यावरण और समुद्री पारिस्थितिकी को खतरा होने का खतरा है।

गौरतलब है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। मौजूदा केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे चुकी है कि सेतु समुद्रम परियोजना के लिए वह पौराणिक रामसेतु को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस परियोजना के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट को केंद्र को निर्देश देने की अपील की गई थी कि परियोजना के चलते किसी भी सूरत में पौराणिक राम सेतु को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। 


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