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मुत्तुवेल करुणानिधिः स्क्रिप्ट राइटर से सीएम तक का सफर

दक्षिण ही नहीं पूरे भारत में करुणानिधि का राजनीतिक कद बहुत बड़ा था। वे पांच बार तक तमिलनाडू के मुख्यमंत्री रहे और अपनी सीट से कभी नहीं हारे।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 08:38 AM (IST)
मुत्तुवेल करुणानिधिः स्क्रिप्ट राइटर से सीएम तक का सफर
मुत्तुवेल करुणानिधिः स्क्रिप्ट राइटर से सीएम तक का सफर

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके चीफ एम करुणानिधि का मंगलवार को निधन हो गया। दक्षिण ही नहीं पूरे भारत में करुणानिधि का राजनीतिक कद बहुत बड़ा था। वे पांच बार तक तमिलनाडू के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा वे अपनी सीट से कभी नहीं हारे। आइये जानते हैं एम करुणानिधि के जीवन से जुड़ी खास बातें। 

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बचपन से ही राजनीति में रुचि

मुत्तेवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को नागपट्टिनम के तिरुक्कुभलइ में हुआ था। पहले उनका नाम दक्षिणमूर्ति था जिसे बाद में बदलकर उन्होंने मुत्तुवेल करुणानिधि कर लिया। करुणानिधि इसाई वेल्लालर समुदाय से संबंध रखते थे। करुणानिधि की बचपन से ही राजनीति में रूचि थी। बताया जाता है कि उन्होंने 14 वर्ष की उम्र में ही हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया था। लेकिन करुणानिधि को पढ़ने का भी शौक था और उनके इसी शौक ने उन्हें फिल्म और साहित्य जगत में बड़ा नाम दिया। जिसके बाद वे राजनीति में भी एक लंबी और यादगार पारी खेल सके। 

स्क्रिप्ट राइटर से शुरू किया करियर

करुणानिधि ने 20 साल की उम्र से अपना करियर फिल्मों के स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर शुरू किया था। उन्हें समाजवादी और बुद्धिवादी आदर्शों को बढ़ावा देने वाली समाज सुधार कहानियां लिखने के लिए जाना जाता था। बताया जाता है कि करुणानिधि घोर नास्तिक थे और वे कई बार सार्वजनिक मंच से भी ये बात बोल चुके थे। 

पहली फिल्म

उनकी पहली फिल्म 'राजकुमारी' थी, जिसे काफी लोकप्रियता मिली। इसके बाद पटकथा लेखक के रूप में उनकी काफी सराहना की गई। करुणानिधि ने अपने फिल्मी करियर में करीब 75 पटकथाएं लिखीं। जिनमें 'राजकुमारी', 'अभिमन्यु', 'मंदिरी कुमारी', 'मरुद नाट्टू इलवरसी', 'मनामगन', 'देवकी' समेत कई फिल्में शामिल हैं। 

 

पराशक्ति से मिली सफलता

करुणानिधि को बड़ी सफलता 'पराशक्ति' नामक फिल्म के माध्यम से मिली। इसी के बाद से उन्होंने अपने राजनीतिक विचारों का प्रचार करना शुरू किया। 'पराशक्ति' तमिल सिनेमा जगत के लिए काफी असरदार साबित हुई। फिल्म में द्रविड़ आंदोलन की विचारधाराओं का समर्थन किया गया। हालांकि शुरू में इस फिल्म पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था लेकिन बाद में इसे 1952 में रिलीज कर दिया गया। यह बॉक्स ऑफिस पर एक बहुत बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। 

साहित्य में योगदान

करुणानिधि का तामिल साहित्य में काफी योगदान है। उन्होंने फिल्मी पटकथाओं के अलावा कविताएं, चिट्ठियां, उपन्यास, जीवनी, ऐतिहासिक उपन्यास, मंच नाटक, संवाद, गाने भी लिखे हैं। उन्होंने तिरुक्कुरल, थोल्काप्पिया पूंगा, पूम्बुकर के लिए कुरालोवियम के साथ-साथ कई कविताएं, निबंध और किताबें लिखी हैं। इसके अलावा उन्होंने नाटक भी लिखे।

करुणानिधि ने मनिमागुडम, ओरे रदम, पालानीअप्पन, तुक्कु मेडइ, कागिदप्पू, नाने एरिवाली, वेल्लिक्किलमई, उद्यासूरियन और सिलप्पदिकारम जैसे तमाम नाटक लिखे हैं। उन्होंने विश्व शास्त्रीय तमिल सम्मलेन 2010 के लिए आधिकारिक विषय गीत "सेम्मोज्हियाना तमिज्ह मोज्हियाम" लिखा जिसे उनके अनुरोध पर ए. आर. रहमान ने म्यूजिक दिया था। 


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