RO को लेकर सभी पक्षों से हो रहा है विमर्श, एनजीटी आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में है मामला
जावेडकर ने कहा-पानी की एक बूंद भी नहीं होने देंगे बर्बाद मिनरल भी सुरक्षित रखेंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पानी को साफ करने में इस्तेमाल होने वाले आरओ को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश से जुड़े सवाल पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने साफ किया है कि अभी इसे लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन इससे जुड़ा जो भी निर्णय होगा, उसमें एनजीटी के आदेश, वास्तविकता और लोगों की सेहत तीनों को ही ध्यान में रखकर लिया जाएगा। एनजीटी ने हाल ही में अपने एक आदेश में आरओ का इस्तेमाल सिर्फ उन्हीं जगहों पर करने को कहा है, जहां पानी के टीडीएस( टोटल डिजाल्वड सालिड) का स्तर प्रति लीटर पांच सौ मिलीग्राम से ज्यादा है। इससे कम टीडीएस पर इसका इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
लोकसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान आरओ को लेकर पर्यावरण मंत्री जावडेकर से प्रोफेसर सौगत राय, गोपाल शेट्टी, जगदम्बिका पाल सहित कई सदस्यों ने सवाल किए। इसके जवाब में जावडेकर ने कहा कि आरओ को लेकर जो मूल समस्या है, वह यह है कि इनमें पानी के सभी नेचुरल तत्व मर जाते है, और इससे पानी भी बहुत बर्बाद होता है। एनजीटी ने अपने आदेश में भी इसका जिक्र किया है।
हालांकि अभी मुझे एक नई तकनीक के बारे में भी पता चला है, जिसमें पानी का एक बूंद भी बर्बाद नहीं होगा और उनमें नेचुरल मिनरल्स भी बचे रहेंगे। अगर ऐसा कोई विकल्प सामने आता है, तो उस पर भी विचार होगा। जावडेकर ने कहा कि फिलहाल आरओ से जुड़ा आदेश सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने सरकार से इसे लेकर आरओ बनाने वाली कंपनियों से बातचीत करने और इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी करने के लिए कहा है। उन्होने कहा कि मंत्रालय इसे लेकर काम कर रहा है।