कानपुर में गंगा में गिरने वाली गंदगी पर लगाम के लिए उठाया बड़ा कदम
गंगा नदी को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाले उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में अब स्थिति बदलने जा रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गंगा नदी को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाले उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में अब स्थिति बदलने जा रही है। सरकार ने इस शहर में सीसामऊ नाले का रुख मोड़कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की ओर ले जाने के बाद अब पूरे शहर में सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित और परिचालन करने के लिए निजी क्षेत्र की एक कंपनी के साथ करार किया है। इस करार के बाद निजी क्षेत्र की कंपनियां 'वन सिटी, वन ऑपरेटर' के मॉडल पर कानपुर में एसटीपी का संचालन कर यह सुनिश्चित करेंगी कि शहर की गंदगी गंगा नदी में न गिरे।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), यूपी जल निगम और निजी कंपनियों- शपूरजी पालोनजी एंड कंपनी लिमिटेड और एसएसजी इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को यहां इस आशय के एक करार पर हस्ताक्षर किए।
इस मौके पर गडकरी ने कहा कि स्वच्छ गंगा का सपना अब जल्द ही साकार होगा क्योंकि नदी की सफाई के लिए उठाए गए कदमों के नतीजे अब दिखने लगे हैं। मार्च 2019 तक गंगा नदी 70 से 80 प्रतिशत तक साफ हो जाएगी। गंगा को निर्मल बनाने के उद्देश्य से 285 परियोजनाएं चल रही हैं और इन्हें मार्च 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा।
गडकरी ने कहा कि गंगा के लिए कानपुर बहुत बड़ा डार्क स्पॉट था। सबसे ज्यादा यही शहर गंगा नदी को प्रदूषित करता था। हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर चलने वाली कानपुर परियोजना के तहत शुक्लागंज, पंखा और उन्नाव में तीन नए एसटीपी लगाए जाएंगे जबकि चार पुराने एसटीपी को सुधार कर चलाया जाएगा।
शपूरजी पालोनजी एंड कंपनी लिमिटेड के अधिकारी रेबी थॉमस ने कहा कि अगले कुछ महीने में परियोजना पर काम शुरु हो जाएगा। इस परियोजना पर 817 करोड़ रुपये लागत आएगी।
गडकरी ने गंगा में एयर बोट चलाने की घोषणा करते हुए कहा कि यह परियोजना रूसी तकनीक से की जाएगी और यह प्रयागराज से कानुपर के बीच चलेगी। यह एक सपना है जिसे वह पूरा करके दिखाएंगे।