माल्या के बाद चोकसी भी बैंकों का पैसा लौटाने के लिए हुआ तैयार
प्रवर्तन निदेशालय ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत मेहुल चोकसी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। देश के बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाकर विदेश भाग गए आर्थिक अपराधियों पर नए कानून का खौफ साफ नजर आने लगा है। भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून के घेरे में आने के बाद विजय माल्या के बाद अब मेहुल चोकसी भी बैंकों की सारी देनदारी चुकाने को तैयार है। मेहुल चोकसी 13 हजार करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का आरोपी है और गिरफ्तारी से बचने के लिए एंटीगुआ की नागरिकता लेकर वहीं रह रहा है। वहीं ईडी ने भारत वापस आने तक किसी भी तरह की राहत देने से साफ इनकार कर दिया है।
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत मेहुल चोकसी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। इन कानून के तहत आरोपी की भारत स्थित सारी संपत्ति जब्त की जा सकती है। मेहुल चोकसी ने मुंबई की विशेष अदालत में भगोड़े आर्थिक अपराधी कानून के तहत कार्रवाई का विरोध किया है। चोकसी के वकील ने अदालत को बताया कि वह बैंकों के सभी बकाये को चुकाने के लिए तैयार है। इसीलिए इस कानून के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। यही नहीं, चोकसी ने पीएनबी घोटाले में अपने खिलाफ अदालती कार्रवाई में भी मदद करने का भरोसा दिया है, लेकिन खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए फिलहाल भारत आने में असमर्थता जताई है। उसका कहना है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वह अदालती कार्रवाई में शामिल हो सकता है।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कर दिया कि नए कानून के शिकंजे से बचने के लिए मेहुल चोकसी को पहले भारत आना ही होगा। उन्होंने कहा कि घोटाले की रकम लौटाने या नहीं लौटाने का फैसला केवल अदालत कर सकता है, लेकिन फर्जी तरीके से पीएनबी से लगभग छह हजार करोड़ रुपए का लेटर आफ इंटेंट (एलओआइ) हासिल करने के आरोपों घिरे चोकसी के लिए अदालत से राहत मिलना मुश्किल होगा। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नए कानून के तहत संपत्ति जब्त होने के साथ-साथ चोकसी को अब माल्या की तरह भारत में प्रत्यर्पण का भी डर सता रहा है। चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने एंटीगुआ पर कूटनीतिक दबाव बढ़ा दिया है।
गौरतलब है कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे विदेश भाग गए आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए मोदी सरकार ने इसी साल अप्रैल में भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून पास किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने जून महीने में पहली बार इस कानून का इस्तेमाल करते हुए विजय माल्या की 13500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। नए कानून के शिकंजे से खौफ से माल्या ने इसके तत्काल बाद कर्नाटक हाईकोर्ट में बैंकों के सारे बकाये चुकाने की अर्जी लगाई थी। वैसे ब्रिटिश अदालत के फैसले के बाद विजय माल्या पर भारत में प्रत्यर्पण किये जाने की उम्मीद बढ़ गई है और माना जा रहा है कि जल्द ही वह भारत में अदालती कार्रवाई का सामना कर रहा होगा।