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धर्मेद्र प्रधान ने समीक्षा बैठक में कहा- स्टील सेक्टर की दिक्कतों को जल्द दूर करेगी सरकार

स्टील उद्योग का कहना है कि उसे आयातित स्टील और खासतौर पर ईरान से आयातित स्टील से बड़ा खतरा दिख रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 09:08 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 09:08 PM (IST)
धर्मेद्र प्रधान ने समीक्षा बैठक में कहा- स्टील सेक्टर की दिक्कतों को जल्द दूर करेगी सरकार
धर्मेद्र प्रधान ने समीक्षा बैठक में कहा- स्टील सेक्टर की दिक्कतों को जल्द दूर करेगी सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार घरेलू स्टील सेक्टर की दिक्कतों को दूर करने के लिए जल्द ही रोडमैप तैयार करेगी। सरकार का मानना है कि स्टील सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भागीदार रहा है। सरकार का फोकस देश में स्टील के उत्पादन में वृद्धि और इससे जुड़े कच्चे माल की सुगम सप्लाई पर रहेगा।

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इस्पात और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इस्पात मंत्रालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर सेक्टर का जायजा लिया। प्रधान ने पिछले शुक्रवार को मंत्रालय का कामकाज संभाला था। सूत्रों ने बताया कि प्रधान ने बैठक में स्पष्ट कर दिया कि उनका पूरा जोर घरेलू स्टील उद्योग को मजबूत बनाने पर है।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में स्टील उद्योग के समक्ष वर्तमान में आ रही परेशानियों और दिक्कतों पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने पूरे सेक्टर को लेकर प्रजेंटेशन दिए। बैठक में इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और विभाग के सचिव बिनय कुमार प्रधान भी मौजूद रहे।

स्टील उद्योग का कहना है कि उसे आयातित स्टील और खासतौर पर ईरान से आयातित स्टील से बड़ा खतरा दिख रहा है। इंडियन स्टील एसोसिएशन (आइएसए) ने कहा है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वार से भारत में स्टील का आयात लगातार बढ़ रहा है।

संगठन ने बिनय कुमार को लिखे पत्र में कहा कि बहुत सस्ते दाम पर हो रहे इन निर्यातों पर संगठन बेहद चिंतित है। यह चौंकाने वाली बात है कि जो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्टील का आयातक रहा था, पिछले वित्त वर्ष में उसके निर्यात में एकाएक 2016-17 के मुकाबले 390 फीसद का उछाल दर्ज किया गया है।

गौरतलब है इस वर्ष से स्टील उद्योग के प्रदर्शन में सकारात्मक बदलाव आना शुरू हुआ है। तीन साल लगातार घाटा उठाने के बाद स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने वित्त वर्ष 2018-19 में 2,179 करोड़ रुपये का मुनाफा अर्जित किया है। कंपनी विस्तार योजना पर भी काम कर रही है और साल 2030-31 अपनी क्षमता को पांच करोड़ टन तक लाना चाहती है। विस्तार योजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा।

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