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15 सेकंड की देरी होती तो राहुल गांधी की जान पर था खतरा

रिपोर्ट के मुताबिक उस दिन राहुल गांधी का चार्टर्ड विमान अचानक एक तरफ झुकने लगा था और उसके इंजन से आवाज आ रही थी।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 11:26 AM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 08:54 PM (IST)
15 सेकंड की देरी होती तो राहुल गांधी की जान पर था खतरा
15 सेकंड की देरी होती तो राहुल गांधी की जान पर था खतरा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 'फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर' में गड़बड़ी के कारण ऑटो पायलट फेल होने तथा मैनुअल नियंत्रण में पायलटों की ओर से देरी के कारण अप्रैल में राहुल गांधी का दिल्ली-हुबली चार्टर्ड प्लेन दुर्घटनाग्रस्त होते होते बचा था। यदि 15 सेकंड की भी देरी होती तो दुर्घटना तय थी। शुक्रवार को डीजीसीए की ओर से सार्वजनिक की गई दुर्घटना की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर हुआ है।

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दो सदस्यीय जांच समिति द्वारा तैयार यह रिपोर्ट 2 जुलाई को ही तैयार हो गई थी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था।वाकया इस वर्ष 26 अप्रैल का है, जब राहुल गांधी निजी चार्टर्ड विमान के जरिए दिल्ली से हुबली (कर्नाटक) की उड़ान पर थे। उस वक्त घटना की काफी चर्चा हुई थी और कांग्रेस ने किसी षड्यंत्र की आशंका जाहिर की थी और पायलटों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। उसी वक्त राहुल गांधी ने कहा था कि वे ईश्वर को धन्यवाद देने कैलाश मानसरोवर जाएंगे। यह लिगेयर एविएशन लिमिटेड की चार्टर्ड फ्लाइट 410 थी, जिसमें 10 सीट वाले फाल्कन 2000 वीटी-एवीएच विमान का प्रयोग किया जा रहा था।

डीजीसीए की जांच रिपोर्ट के मुताबिक विमान ने सुबह 9.20 पर उड़ान भरी थी और 10.45 पर जब विमान 41,000 फीट की ऊंचाई पर था, तभी इसका आटो पायलट फेल हो गया। पायलट फंक्शन डिस्प्ले (पीएफडी) सफेद हो गया। लेकिन इससे पायलट इस बात का अंदाजा नहीं लगा सके कि यॉ डैंपर फेल हो गया है और विमान एक ओर को झुक रहा है। उन्हें 13 सेकंड बाद, जब विमान 45 डिग्री झुक चुका था, इस बात का एहसास हुआ। यही नहीं, 15 सेकंड बाद झुकाव 64.95 डिग्री होने के साथ विमान निर्धारित ऊंचाई से 735 फीट नीचे चला गया। इसी के बाद पायलटों ने स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास शुरू किए और अंतत: 24 सेकंड बाद विमान को सीधा करने में कामयाब हुए।

घटना से पहले विमान उड़ान के लिए पूरी तरह फिट था। एयरवर्दीनेस सर्टिफिकेट व फ्लाइट रिलीज सर्टिफिकेट भी वैध थे। दोनो पायलट यह विमान उड़ाने के काबिल थे। पहले भी विमान में कोई गड़बड़ी नहीं देखी गई थी। कमांडर ने विमान को सुरक्षित हुबली उतार लिया था। किसी यात्री को कोई चोट नहीं आई।हुबली में विमान के निरीक्षण के दौरान घटना की वजह का पता नहीं चल पाया था। रिटर्न फ्लाइट के वक्त ऑटो पायलट फंक्शन सामान्य ढंग से काम कर रहा था।

दिल्ली में जब विस्तृत जांच की गई तब भी पहले गड़बड़ी के स्रोत का पता नहीं चल रहा था। लेकिन जांचकर्ताओं को फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (एफसीसी2) में खराबी का शक था। इसलिए इसे निकाल कर वेंडर शॉप भेजा गया। वहां इंटरमिटेंट कंफिगरेशन माड्यूल ए4 में खराबी की पुष्टि हो गई और इसे बदलकर नया वर्जन लगाया गया। डीजीसीए ने पायलटों को सुधारात्मक प्रशिक्षण देने के साथ एयरलाइन के रेग्युलेटरी ऑडिट की जरूरत बताई है।


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