Move to Jagran APP

नक्सलगढ़ तक सड़कों के रास्ते बही विकास की बयार

नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले जगरगुंडा तक तीन ओर से सड़कें पहुंचतीं थीं। नक्सलियों ने तीनों सड़कों पर बारूद लगा दिया, पुलों को ढहा दिया और सड़क उखाड़ दी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 07:59 PM (IST)
नक्सलगढ़ तक सड़कों के रास्ते बही विकास की बयार
नक्सलगढ़ तक सड़कों के रास्ते बही विकास की बयार

अनिल मिश्रा,रायपुर, नईदुनिया। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में चार दशकों के बाद सड़कों को दोबारा खोला जा रहा है। बस्तर में तेलंगाना के रास्ते 1980 में नक्सलवाद ने प्रवेश किया और सड़कें बंद हो गईं। सुकमा जिले के जगरगुंडा से लेकर बीजापुर के बासागुड़ा और भोपालपटनम तक जहां पहले बसें दौड़ती थीं वहां बमों के धमाके गूंजने लगे। चार दशक तक करीब एक दर्जन प्रमुख सड़कें बंद रहीं। अब सरकार ने इन सड़कों को दोबारा खोलने की कवायद शुरू की है। तेलंगाना की सीमा पर स्थित मरईगुड़ा से जंगल के बीच से होकर गुजरने वाले स्टेट हाइवे नंबर 6 को खोलना असंभव माना जा रहा था। अब उस सड़क पर भी काम शुरू हो चुका है।

loksabha election banner

नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले जगरगुंडा तक तीन ओर से सड़कें पहुंचतीं थीं। नक्सलियों ने तीनों सड़कों पर बारूद लगा दिया, पुलों को ढहा दिया और सड़क उखाड़ दी। जगरगुंडा जैसी सड़कों को बनाने के लिए तो कोई ठेकेदार भी तैयार नहीं था। पुलिस खुद ही सड़क बना रही है। केंद्र सरकार ने रायपुर से जगदलपुर तक नेशनल हाइवे के पुनरूत्थान का काम जारी किया है। सुकमा से कोंटा तक नेशनल हाइवे पर नक्सली राज कर रहे थे लेकिन अब आलीशान हाइवे बन रहा है। स्टेट हाइवे 6 पर अबूझमाड़ के जंगल में भी काम शुरू हो चुका है।

सड़कों के रास्ते अब उन गावों में भी विकास की बयार बहने लगी है जिन्हें अब तक पहुंचविहीन माना जाता था। बीजापुर के बासागुड़ा और गंगालूर जैसी सड़कों को पक्का किया गया। इसके आगे जंगल में सड़क का काम चल रहा है। दंतेवाड़ा से अरनपुर होकर जगरगुंडा तक काम हो रहा है। चिंतागुफा, भेज्जी, गोलापल्ली जैसे इलाकों की पहचान नक्सल घटनाओं से होती रही है। यहां सड़कें बन रही हैं। ऐसा नहीं है कि इन इलाकों में आसानी से सड़क बन सकती थी। सड़क निर्माण को सुरक्षा देने में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं।

राज्य सरकार का पूरा जोर सड़कों पर 

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल के बजट में नक्सल इलाकों में 42 पुलों के निर्माण के लिए 2804000 रूपए दिए हैं। जगदलपुर कोंटा और रायपुर जगदलपुर सहित 121 किमी एनएच का उन्न्यन करने के लिए 1815400 रूपए दिए गए हैं। 54 किमी एनएच आदिवासी इलाकों में बनाया जाएगा। नए जिला मार्गों का निर्माण, पुराने मार्गों का डामरीकरण, चौड़ीकरण, उन्न्यन आदि का काम 500 किमी में होगा इस पर 500 करोड़ रूपए खर्च होंगे। हाल ही में 806 करोड़ की लागत से नक्सल प्रभावित गांवों में पक्की सड़क की योजना को हरी झंडी मिली है। एलडब्ल्यूई प्रभावित 161 सड़क और चार पुल हैं। इसके लिए 12.10 करोड़ रूपए रखे गए हैं। ईपीसी योजना में 755 किमी सड़क बनेगी जिसमें से 262 आदिवासी इलाकों में है। इसकी कुल लागत 1160 करोड़ रूपए होगी।

आरआरपी 1 में बिछ रहा सड़कों का जाल 

केंद्र सरकार के आरआरपी-1 प्रोजेक्ट के तहत इन इलाकों में पिछले पांच सालों में 1320 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। जगदलपुर से कोंटा तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने रोड कनेक्टिविटी स्कीम प्रोजेक्ट फॉर एलडब्ल्यूई (लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म) एरिया को स्वीकृति दी है। नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भी 98 सड़कें बनाई जाएंगी।

नक्सलगढ़ के केंद्र में सड़क निर्माण 

सरकार उस स्टेट हाइवे को खोलने की तैयारी में है जो नक्सलगढ़ के केंद्र से होकर गुजरती है। प्रदेश के धुर दक्षिण में तेलंगाना की सीमा से उत्तर की ओर राजनांदगांव के समीप नेशनल हाइवे-6 पर आकर मिलने वाली करीब 6 सौ किलोमीटर सड़क को नक्सलियों ने तीन दशक से बंद कर रखा है। इस रास्ते पर गोलापल्ली तक करीब 8 किलोमीटर का काम अब भी बचा है। रास्ते पर हर 5 किलोमीटर पर फोर्स के कैंप खोले गए हैं ताकि सड़क का काम पूरा हो जाए। बारसूर-पल्ली मार्ग पर नक्सलियों ने बड़े-बड़े पेड़ गिरा दिए थे। अब बारसूर और पल्ली दोनों तरफ से सड़क का काम शुरू किया गया है। सड़क को सुरक्षा देने के लिए धौड़ाई से 20 किमी अंदर जंगल में स्थित कड़ेनार में हाल ही में फोर्स का कैंप खोला गया है।

नक्सली बन रहे बाधा 

पिछले महीने किस्टारम के पास स्थित एलकनगुड़ा में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगी गाड़ियों का फूंक दिया था। इसके बाद से पेद्दागुड़ा-किस्टारम मार्ग का करीब 6 किलोमीटर का काम रूका हुआ है। किस्टारम को जोड़ते ही स्टेट हाइवे का सबसे कठिन रास्ता बनकर तैयार हो जाएगा। जगरगुंडा मार्ग पर भी बुरकापाल के पास नक्सल हमले के बाद से काम रूका हुआ है।

डेढ़ हजार जवानों की सुरक्षा में बन रही नक्सलगढ़ की 10 किमी सड़क

बीजापुर जिले का पामेड़ थाना पहली बार सड़क मार्ग से जुड़ने जा रहा है। यह ऐसा इलाका है जहां दस किलोमीटर सड़क बनाने के लिए डेढ़ हजार जवानों को तैनात करना पड़ा है। बीजापुर से पामेड़ के लिए सीधी सड़क नहीं है। जिले के बासागुड़ा थाने से पामेड़ की दूरी 55 किमी है। बासागुड़ा तक सड़क बना ली गई लेकिन इसके आगे जंगल में नक्सलियों का कब्जा है। पामेड़ तेलंगाना की सीमा से सटा हुआ है। तेलंगाना की ओर से सड़क बनाई जा रही है ताकि पामेड़ तक पहुंचने का कोई तो रास्ता हो। हालांकि इस रास्ते से बीजापुर से पामेड़ जाने के लिए दंतेवाड़ा, सुकमा जिलों से घूमकर करीब चार सौ किमी का लंबा चक्कर काटना पड़ेगा।

मार्च तक 546 सड़कें पूरी करने की बनी रणनीति

इस साल मार्च तक बस्तर के सात जिलों और राजनांदगांव को मिलाकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) की कुल 546 सड़कों का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में योजना के तहत कुल 1992 सड़कें स्वीकृत थीं। इनमें से 1451 सड़कों का काम पहले ही पूरा हो चुका है। नक्सल प्रभावित आठ जिलों में कुल 748 सड़कें ऐसी हैं जिसमें नक्सली बाधा पहुंचाते रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.