Move to Jagran APP

'कश्मीर में स्वायत्तता की जगह लोकतंत्र और विकास ने ली, घाटी में कमजोर पड़ रही हैं भारत विरोधी ताकतें'

आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव ने राम माधव ने कहा घाटी में कमजोर पड़ रही हैं भारत विरोधी ताकतें। आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव ने कहा कि कश्मीर में राजनीतिक विमर्श बदल गया है। स्वायत्तता और अलगाववाद ने लोकतंत्र और विकास की जगह ले ली है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 08:31 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 08:31 AM (IST)
'कश्मीर में स्वायत्तता की जगह लोकतंत्र और विकास ने ली, घाटी में कमजोर पड़ रही हैं भारत विरोधी ताकतें'
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव का बयान।(फोटो: फाइल)

नई दिल्ली, प्रेट्र। आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव ने कहा कि कश्मीर में राजनीतिक विमर्श बदल गया है। स्वायत्तता और अलगाववाद के मुद्दों की जगह अब लोकतंत्र और विकास ने ले ली है, जो एक स्वागत योग्य कदम है।लगभग पांच साल तक भाजपा महासचिव और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी रहे राम माधव ने कहा कि घाटी में भारत विरोधी ताकतें कमजोर और अलग-थलग पड़ रही हैं।उन्होंने कहा, कश्मीर आज पूरी तरह से अलग रास्ते पर चल रहा है। अब तक शांति खरीदने और संघर्ष को प्रबंधित करने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन अब यहां शांति स्थापित हो रही है। जब आप शांति खरीदते हैं, तो आपको कुछ समझौते करने पड़ते हैं। लेकिन जब आपको शांति स्थापित करनी है तो आपको उस ताकत की स्थिति में होना होगा, जो अभी दिख रही है।

loksabha election banner

उन्होंने कहा, कश्मीर में राजनीतिक विमर्श पूरी तरह से बदल गया है। जो लोग हमारा विरोध करते थे, अब वे भी अलगाववाद और स्वायत्तता के बजाय लोकतंत्र और चुनाव की बात करते हैं। यह स्वागत योग्य कदम है और हम उनके साथ लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहेंगे।

आतंकी हिंसा के डर से कश्मीर छोड़ने की तैयारी में प्रवासी श्रमिक

कश्मीर में आतंकी हिंसा की घटनाओं से अन्य राज्यों के लाखों श्रमिक चिंतित हैं। हाल ही के दिनों में पांच श्रमिकों की निर्मम हत्या के बाद कश्मीर से बड़े पैमाने पर प्रवासी श्रमिक लौटने की तैयारी करने लगे हैं। पिछले दिनों आतंकी वारदात के बाद भी करीब तीन हजार श्रमिकों ने कश्मीर छोड़ दिया था। आतंकी कश्मीर में 1990 जैसे हालात बनाने की फिराक में हैं। प्रशासन को चिंता है कि अगर कश्मीर से श्रमिक निकल गए तो विकास प्रोजेक्ट से लेकर निजी काम भी थम जाएंगे। इससे काफी नुकसान होगा।

श्रमिक विभाग के आंकड़ों की मानें तो कश्मीर में इस समय एक लाख से अधिक श्रमिक ऐसे हैं जो बढ़ई, मजदूर, राज मिस्त्री, नाई, प्लंबर, ईट भट्ठे, कृषि, बागवानी व रेहड़ी लगाने का काम करते हैं। करीब एक हजार श्रमिक तो सिर्फ श्रीनगर में ही रेहड़ी लगाते हैं। झारखंड, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में श्रमिक रोजगार के लिए कश्मीर आते हैं। हजारों श्रमिक ऐसे भी हैं जो 20 से 30 साल से यहां हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.