बेरोजगारी के आकलन के लिए जेपीसी गठन की राज्यसभा में उठी मांग, कई सदस्यों ने किया समर्थन
प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कांग्रेस सदस्य कुमार केतकर ने कहा कि इस पर तत्काल ध्यान दिया जाने की जरूरत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में सदस्यों ने बेरोजगारी को लेकर संयुक्त संसदीय समिति के गठन के प्रस्ताव का समर्थन किया। माकपा सदस्य बिनॉय बिस्वम ने प्रस्ताव पेश करते हुए सरकार से देश में बेरोजगारी की स्थिति के उचित आकलन तथा समग्र रिपोर्ट तैयार करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन का अनुरोध किया था। बेरोजगारी की मौजूदा स्थिति का सही आकलन किए जाने की जरूरत बताते हुए बिस्वम ने कहा, सरकारी आंकड़े केवल 6.1 फीसद बेरोजगारी का दावा करते हैं। जबकि थिंक टैंक सीएमआइई के अनुसार देश में 13.2 फीसद लोग बेरोजगार हैं। इसे देखते हुए सरकार को पढ़े-लिखे नागरिकों के बीच बेरोजगारी की वर्तमान स्थिति पर एक समग्र रिपोर्ट पेश करनी चाहिए।
प्रस्ताव में सरकार को सुझाव दिया गया है कि उसे इस मसले का संपूर्ण अध्ययन एवं विवेचना करने तथा रोजगार गारंटी अधिनियम की रूपरेखा तैयार करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन का निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने अधिनियम का नाम शहीद भगत सिंह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम रखे जाने की इच्छा जताई।
बेरोजगारी कभी भी फूटने वाला बम
प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कांग्रेस सदस्य कुमार केतकर ने कहा कि इस पर तत्काल ध्यान दिया जाने की जरूरत है। क्योंकि बेरोजगारी कभी भी फूटने वाला बम है। बेरोजगारी का मुद्दा अर्थव्यवस्था का मसला नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास और संस्कृति से जुड़ा मसला है। उन्होंने सदन का ध्यान 1930-1950 के उस दौर की ओर दिलाया जिसका फिल्मांकन 'गॉडफादर' फिल्म में किया गया है। तब अपराध जगत के लोग बेरोजगार युवाओं को प्रलोभन देकर अपने गैंग में शामिल करते थे। उन्होंने सूखे के दौर में महाराष्ट्र में चलाई गई रोजगार गारंटी स्कीम का जिक्र भी किया जिसे बाद में संप्रग सरकार ने पूरे देश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के रूप में लागू किया। उन्होने बेरोजगारों को उत्पादक कार्यो में लगाने की जरूरत बताई।
भाजपा सदस्य सत्यनारायण जटिया का कहना था कि 'हमारे पास सीमित संसाधन हैं। चूंकि मांग करना आसान है। इसलिए आपको ये महत्वपूर्ण लग रहा है। जटिया ने बेरोजगारी से निपटने के लिए युवाओं को दक्ष बनाए जाने, अनुसंधान एवं विकास पर ज्यादा खर्च किए जाने के अलावा एकसमान शिक्षा प्रणाली की वकालत की।'