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सुप्रीम कोर्ट का अनुच्छेद-370 को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्‍द सुनवाई से इनकार

Supreme Court refuses urgent hearing on Article 370 सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अनुच्छेद-370 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्‍द सुनवाई से इनकार कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 11:49 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 03:29 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट का अनुच्छेद-370 को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्‍द सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट का अनुच्छेद-370 को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्‍द सुनवाई से इनकार

माला दीक्षित, नई दिल्‍ली। Supreme Court refuses urgent hearing on Article 370 सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अनुच्छेद-370 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्‍द सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता भाजपा नेता अश्‍वनी कुमार उपाध्‍याय ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और इंद्रा बनर्जी की पीठ के सामने याचिका का उल्‍लेख करते हुए जल्‍द सुनवाई की गुजारिश की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले की सुनवाई नहीं करेगा।  

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उपाध्‍याय ने पीठ को बताया कि पिछले साल 16 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला दो अप्रैल के लिए सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया था लेकिन उस तारीख पर सुनवाई नहीं हो पाई क्‍योंकि जस्टिस चंद्रचूड उस वक्‍त संविधान पीठ में दूसरे  मामले की सुनवाई कर रहे थे। पीठ द्वारा यह पूछे जाने पर कि आप कौन से मामले की बात कर रहे हैं। इस पर उपाध्‍यया ने कहा कि यह याचिका जम्‍मू कश्‍मीर से जुड़े अनुच्‍छेद 370 की वैधानिकता को चुनौती देने से संबंधित है। 

इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि इस मामले को मुख्‍य न्‍यायाधीश के समक्ष मेंशन किया जाना चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता उपाध्‍याय ने पीठ को बताया कि हम इस मामले को फरवरी में ही मुख्‍य न्‍यायाधीश के सामने मेंशन कर चुके हैं। मुख्‍य न्‍यायाधीश ने मामले को उचित पीठ के समक्ष लगाने के लिए कहा था। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने उपाध्‍याय से कहा कि आप मेंशन का आवेदन दीजिये अदालत तुरंत सुनवाई नहीं कर सकती है। 

बता दें जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्‍छेद 370 की वैधानिकता को अश्‍वनी कुमार उपाध्‍याय ने चुनौती दी है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने पिछले साल ही इस याचिका पर नोटिस जारी करके केंद्र और जम्‍मू-कश्‍मीर सरकार से जवाब मांगा था लेकिन अभी तक दोनों ही सरकारों की ओर से जवाब नहीं दाखिल किया गया है।अदालत इस याचिका को भी अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली पहले से लंबित याचिका के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दे चुकी है। 

अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिका में जम्मू कश्मीर के संविधान को भारतीय नागरिकों के साथ भेदभाव करने वाला बताते हुए रद करने की मांग की गई है। जबकि भारतीय संसद से अनुच्छेद 370 में संशोधन का हक छीनने वाले राष्ट्रपति आदेश 1954 को रद करने की मांग की गई है। याचिका में गुजारिश की गई है कि कोर्ट घोषित करे कि भारतीय संसद को अनुच्छेद 368 के तहत कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को संशोधित करने का अधिकार है। 

यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 370(1)(डी) के तहत जम्मू कश्मीर के बारे में प्राप्त शक्तियों के तहत जम्मू कश्मीर राज्य निवासियों को ऐसे विशेष अधिकार नहीं दे सकते जिनका लाभ भारतीय नागरिकों को न मिले। जम्मू कश्मीर के बारे में राष्ट्रपति आदेश 1954 के कुछ प्रावधान भारतीय संविधान के खिलाफ हैं इसलिए उन्हें असंवैधानिक घोषित किया जाए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अनुच्छेद 370 का प्रावधान अनिश्चित काल के लिए नहीं था।

याचिका में जम्मू कश्मीर संविधान की धारा 6,7,8,9 और 10 पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि ये धाराएं भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। जम्मू कश्मीर में सिर्फ वहां के स्थाई निवासियों को चुनाव लड़ने का अधिकार है कोई और व्यक्ति स्वयं को वहां मतदाता पंजीकृत नहीं करा सकता न ही वहां संपत्ति खरीद सकता है। जबकि जम्मू कश्मीर का निवासी देश में कहीं भी संपत्ति खरीद सकता है और नौकरी कर सकता है। यहां तक कि मतदाता का अधिकार पा सकता है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे भारत के नागरिक हैं और जम्मू कश्मीर में संपत्ति खरीद कर बसना चाहते हैं लेकिन जम्मू कश्मीर के संविधान और राष्ट्रपति आदेश 1954 के प्रावधान उसमें बाधा बन रहे हैं। याचिका में जम्मू कश्मीर संविधान की धारा 6,7,8,9,10,50(2),51ए,140 और 144 को और भारतीय संविधान में जोड़े गए अनुच्छेद 35ए और 368(2) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।

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