राज्यसभा सदस्यता मामले में दखल देने से दिल्ली हाई कोर्ट का इन्कार
शरद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार द्वारा भाजपा से हाथ मिलाने के बाद से रास्ता अलग कर लिया था।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्यता समाप्त करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को निराशा हाथ लगी है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विभू बाखरु ने प्रकरण में दखल देने से इन्कार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने आदेश दिया कि शरद यादव को भत्ते और सरकारी आवास का लाभ मिलता रहेगा। कोर्ट ने राज्यसभा में जदयू नेता राम चंद्र प्रसाद सिंह को नोटिस जारी कर सदस्यता समाप्त करने के मामले में जवाब मांगा है। कोर्ट ने मुख्य याचिका पर सुनवाई के लिए एक मार्च की तारीख तय की है।
बता दें कि शरद यादव ने बुधवार को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू के फैसले को चुनौती दी थी।
शरद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार द्वारा भाजपा से हाथ मिलाने के बाद से रास्ता अलग कर लिया था। इस साल जुलाई में नीतीश ने बिहार में कांग्रेस-आरजेडी के साथ जदयू के महागठबंधन को तोड़कर भाजपा के साथ सूबे में नए सिरे से सरकार का गठन किया था। शरद ने नीतीश के इस फैसले का खुलकर विरोध किया और दावा किया कि उनकी अगुआई वाला जदयू धड़ा ही असली जदयू है। उन्होंने चुनाव आयोग के सामने जदयू के चुनाव चिह्न तीर पर अपना दावा किया था, लेकिन चुनाव आयोग ने शरद गुट के दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद चार दिसंबर को राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने शरद और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने का आदेश दिया था।
राज्यसभा सभापति ने जेडीयू के उस तर्क को स्वीकार किया कि उसके दो वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन कर और विपक्षी पार्टियों के कार्यक्रमों में शामिल होकर अपनी पार्टी सदस्यता को स्वत: ही त्याग दिया है। यादव पिछले साल राज्यसभा के लिए चुने गए थे और उनका कार्यकाल 2022 में खत्म होने वाला था। अली अनवर का कार्यकाल अगले साल खत्म होने वाला था।