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रक्षा मंत्रालय ने कहा- लड़ाकू विमान राफेल से भारतीय वायु सेना को मिलेगी रणनीतिक ताकत

डोकलाम में चीन की गतिविधियों पर सेना नजर रख रही है और किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 01:24 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 01:24 AM (IST)
रक्षा मंत्रालय ने कहा- लड़ाकू विमान राफेल से भारतीय वायु सेना को मिलेगी रणनीतिक ताकत
रक्षा मंत्रालय ने कहा- लड़ाकू विमान राफेल से भारतीय वायु सेना को मिलेगी रणनीतिक ताकत

नई दिल्ली, प्रेट्र। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि राफेल विमान भारतीय वायु सेना को रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता तथा लंबी दूरी तक लक्ष्यों पर निशाना साधने की क्षमता प्रदान करेगा। मंत्रालय ने यह भी बताया कि फ्रांस की वायु सेना के साथ अधिकारियों और तकनीशियनों के पहले बैच का प्रशिक्षण चल रहा है।

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मंत्रालय ने 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि फ्रांस द्वारा निर्मित लड़ाकू विमान भारत को देश के दुश्मनों से पार पाने की मजबूत क्षमता प्रदान करेगा। भारत ने दोहरे इंजन वाले विमानों के दो बेड़े (36) खरीदने के लिए करार किया है और उनका बेस पाकिस्तान तथा चीन के साथ पश्चिमी एवं पूर्वी मोर्चों पर स्थापित करने का फैसला किया है।

परमाणु आयुधों को ले जाने की क्षमता वाले विमानों की आपूर्ति इस साल सितंबर से शुरू हो सकती है। स्ट्रेटेजिक डिटरेंस (रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता) एक ऐसी रणनीति है जिसका इस्तेमाल कोई देश किसी दुश्मन से हमले की संभावना को समाप्त करने के लिए प्रभावी तरीके से करता है। वायु सेना प्रमुख बी एस धनोआ ने पिछले साल राफेल और रूसी एस-400 मिसाइलों के बल में शामिल होने को क्रांतिकारी पहल कहा था।

रक्षा निर्यात 10 हजार करोड़ के पार पहुंचा : रक्षा मंत्रालय ने अपनी सलाना रिपोर्ट में कहा है कि साल 2018-19 में रक्षा निर्यात 10,745 करोड़ रुपये के आंकड़े के छू लिया। वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में यह वृद्धि 100 फीसद से ज्यादा है।

मंत्रालय ने कहा है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान दर्जनों सुधारों या उठाए गए कदमों के चलते रक्षा निर्यात के क्षेत्र में यह बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है।

डोकलाम में चीन की हरकतों पर नजर

रक्षा मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि डोकलाम में चीन की गतिविधियों पर सेना नजर रख रही है और किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2017 में हुए तनाव के बाद से दोनों ही देशों ने डोकलाम में अपनी सेनाओं की संख्या में कटौती की है।


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