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रक्षा मंत्री का अमेरिका दौरा खत्म, US-भारत के रिश्तों को मिलेगी नई मजबूती

सीतारमण ने अपने अमेरिकी दौरे को द्विपक्षीय रक्षा सहयोग मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा बताया।

By Arti YadavEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 02:27 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 02:27 PM (IST)
रक्षा मंत्री का अमेरिका दौरा खत्म, US-भारत के रिश्तों को मिलेगी नई मजबूती
रक्षा मंत्री का अमेरिका दौरा खत्म, US-भारत के रिश्तों को मिलेगी नई मजबूती

वाशिंगटन, प्रेट्र। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को पांच दिवसीय अमेरिकी दौरा खत्म करने से पहले हवाई स्थित रणनीतिक हिंद-प्रशांत कमान पहुंचीं। इस दौरान अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने कहा कि भारत और अमेरिका रक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा के वैश्विक साझेदार हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूती देने व मेक इन इंडिया कार्यक्रम में अमेरिकी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश के साथ रक्षा मंत्री वापस लौट गईं।

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सीतारमण ने अपने अमेरिकी दौरे को द्विपक्षीय रक्षा सहयोग मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, बीते दशक में रक्षा क्षेत्र में भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी ने नया आयाम स्थापित किया है। दोनों देशों ने बेहतर प्रगति की है।

हवाई मुख्यालय को हाल ही में 'अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान' या 'इंडोपैकोम' नाम दिया गया है। अमेरिका एशिया-प्रशांत को अब हिंद-प्रशांत कहता है। अमेरिकी इंडोपैकोम कमांडर एडमिरल फिल डेविडसन ने कहा, 'दोनों राष्ट्र नियमानुसार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे दशकों तक शांति, स्थायित्व और समृद्धि आई है। हम रक्षा और सुरक्षा को लेकर वैश्विक साझेदार हैं। यह हिंद-प्रशांत को स्वतंत्र और खुला सुनिश्चित करने के लिए हमारे परस्पर सहयोग को दर्शाता है।' उन्होंने कहा कि यह साझेदारी अमेरिका-भारत सुरक्षा संबंधों के बढ़ते महत्व को परिलक्षित करती है। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग में प्रगति के साथ यह उपलब्धि हासिल की है।

भारतीय अधिकारियों ने कहा, 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र में परस्पर समन्वय और सहयोग की गुंजाइश में इजाफा का सिलसिला जारी है। दोनों देशों की वायुसेनाएं अभी पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा और पानागढ़ एयरबेस पर 12 दिन के सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रही हैं। इसका उद्देश्य आपसी समन्वय बढ़ाना है।'

एफ-16 लड़ाकू विमान की उत्पादन इकाई को भारत स्थानांतरित करने या सशस्त्र ड्रोन के सौदों को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, उच्च स्तरीय बातचीत के जानकारों ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में भारत की जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अमेरिका आगे बढ़ रहा है। वह ऐसे कदम उठा रहा है जो रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेंगे।


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