रक्षामंत्री ने राफेल पर कांग्रेस के आरोपों को नकारा, जेपीसी की मांग ठुकराई
विमान की बेसिक कीमत मुद्रास्फीति के पहलूओं को शामिल करते हुए हमने यूपीए के मुकाबले 9 फीसद कम कीमत पर खरीदा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर जारी सियासी जंग में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने कांग्रेस की जेपीसी जांच की मांग खारिज कर दी है। महंगे दाम पर राफेल विमान खरीदने के पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी के आरोपों को खारिज करते हुए रक्षामंत्री ने यूपीए की तुलना में नौ फीसद कम कीमत पर विमान खरीदने की बात कही है। रक्षा मंत्री ने जवाबी वार करते हुए राफेल डील से सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बाहर होने के लिए भी यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वुमन प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा के दौरान निर्मला ने कहा कि हमने कीमतों को लेकर कई बार स्थिति स्पष्ट कर दी है।
विमान की बेसिक कीमत मुद्रास्फीति के पहलूओं को शामिल करते हुए हमने यूपीए के मुकाबले 9 फीसद कम कीमत पर खरीदा है। संयुक्त संसदीय समिति से इसकी जांच की मांग ठुकराते हुए निर्मला ने कहा कि संसद में इस पर काफी बहस हो चुकी है फिर जेपीसी की जरूरत ही क्या है। एनडीए सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने के कांग्रेस के आरोपों पर निर्मला ने कहा कि वायुसेना के पास आदर्श तौर पर 42 स्कावड्रन होने चाहिये मगर यूपीए सरकार के दौरान यह संख्या घट कर 33 पर आ गई।
उन्होंने कांग्रेस पर सवाल दागते हुए कहा कि जब उसकी सरकार थी तो इस कमी को दूर करने के लिए उसने क्या किया? यूपीए सरकार के दौरान 18 विमान पूरी तरह बने हुए और बाकी 108 भारत में निर्माण के जरिये हासिल करने की बात थी लेकिन तब यूपीए ने यह समझौता नहीं किया। एचएएल को बाहर करने के कांग्रेस के आरोपों पर रक्षामंत्री ने कहा कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कम्पनी डसाल्ट और एचएएल के बीच भारत में ही लड़ाकू विमान बनाने का कभी कोई समझौता नहीं हुआ क्योंकि उत्पादन की शर्तो पर सहमति नहीं बनी थी। इसलिये यह कैसे कहा जा रहा है कि एनडीए सरकार ने राफेल सौदे का आफसेट ठेका एचएएल को नहीं दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एकतरफा राफेल डील करने के लगाये गए आरोपों को भी निर्मला ने निर्मूल साबित करने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि पीएम ने तो केवल सौदे के प्रक्रिया की शुरूआत की। फिर डेढ़ साल की मशक्कत के बाद वायुसेना के तकनीकी विशेषज्ञों ने सौदे को अंतिम रुप दिया। कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी लिये बिना ही पीएम के राफेल सौदे के ऐलान के आरोपों पर रक्षामंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 के फ्रांस दौरे में केवल सहमति के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे।
रूस से एस-400 एंटी मिसाइल प्रणाली खरीदे जाने के सौदे के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि इस बारे में रूसी कंपनी से बातचीत पूरी हो चुकी है। राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के भारत दौरे में इस पर दस्तखत होगा या नहीं इस बारे में वह अभी कुछ नहीं कह सकती।