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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का चीन पर निशाना, कहा- कुछ गैर-जिम्मेदार देश तोड़मरोड़ रहे संयुक्त राष्ट्र का समुद्री कानून

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ गैर-जिम्मेदार देश अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों और आधिपत्य वाली प्रवृत्ति के लिए समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कंवेंशन (यूएनसीएलओएस) की अनुचित व्याख्या कर रहे हैं या उन्हें तोड़मरोड़ रहे हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 08:22 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 12:54 AM (IST)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का चीन पर निशाना, कहा- कुछ गैर-जिम्मेदार देश तोड़मरोड़ रहे संयुक्त राष्ट्र का समुद्री कानून
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चीन पर जमकर हमला बोला। (Photo- REUTERS)

मुंबई/नई दिल्‍ली, एजेंसियां। चीन पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि कुछ गैर-जिम्मेदार देश अपने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों और आधिपत्य वाली प्रवृत्ति के लिए 'समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कंवेंशन' (यूएनसीएलओएस) की अनुचित व्याख्या कर रहे हैं या उन्हें तोड़मरोड़ रहे हैं। इससे नियम आधारित समुद्री व्यवस्था की राह में बाधाएं पैदा होती हैं। विध्वंसक युद्धपोत विशाखापत्तनम को भारतीय नौसेना में शामिल करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, यह चिंता का विषय है कि कुछ देशों द्वारा यूएनसीएलओएस को उसकी परिभाषा की मनमानी व्याख्या करके लगातार कमजोर किया जा रहा है।

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खुली समुद्री व्यवस्था का समर्थक है भारत

रक्षा मंत्री ने कहा कि एक जिम्मेदार समुद्री पक्ष होने के नाते भारत सहमति पर आधारित सिद्धांतों और एक शांतिपूर्ण, खुली, नियम आधारित व स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थन करता है। भारत नियम आधारित ऐसे हिंद-प्रशांत का पक्षधर है जिसमें नौवहन की आजादी, मुक्त व्यापार और सार्वभौमिक मूल्य हों और जिसमें सभी भागीदार देशों के हित सुरक्षित हों।

नौवहन स्वतंत्रता का किया उल्‍लेख

वैश्वीकरण के इस वर्तमान दौर में दुनिया में स्थायित्व, आर्थिक प्रगति और विकास सुनिश्चित करने के लिए राजनाथ ने समुद्री मार्गों पर नौवहन की नियम आधारित स्वतंत्रता और सुरक्षा की महत्ता का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि यूएनसीएलओएस, 1982 में किसी भी देश की क्षेत्रीय समुद्र सीमा, एक्सक्लूसिव इकोनामिक जोन और बेहतर समुद्री व्यवस्था का उल्लेख है।

हिंद-प्रशांत पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण

रक्षा मंत्री ने कहा कि हिंद-प्रशांत पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है और इस क्षेत्र से विश्व के दो-तिहाई आयल शिपमेंट, एक तिहाई बल्क कार्गो और आधे से ज्यादा कंटेनर ट्रैफिक गुजरता है। क्षेत्र का अहम देश होने के नाते इसकी सुरक्षा में भारतीय नौसेना की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है व हिंद-प्रशांत को खुला और सुरक्षित रखना भारतीय नौसेना का प्राथमिक उद्देश्य बन जाता है।

हिंद महासागर से जुड़े हैं भारत के हित

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के हित सीधे तौर पर हिंद महासागर से जुड़े हैं और यह क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। राजनाथ सिंह ने कहा, 'समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने के लिए डकैती, आतंकवाद, हथियारों व नशीले पदार्थो की तस्करी, मानव तस्करी, गैरकानूनी तरीके से मछली पकड़ना और पर्यावरण को नुकसान की चुनौतियां समान रूप से जिम्मेदार हैं। इसलिए पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की भूमिका काफी अहम हो जाती है।'

सैन्य शक्ति को मजबूती देने के लिए कर रहे काम

राजनाथ ने कहा कि दुनियाभर के देश वैश्विक सुरक्षा कारणों, सीमा विवादों और समुद्री प्रभुत्व बनाए रखने की अहमियत के चलते अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसलिए सैन्य उपकरणों की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट बताती हैं कि दुनियाभर में सुरक्षा की लागत 2.1 लाख करोड़ अमेरिकी डालर पहुंचने की संभावना है और पांच-दस साल में इसके कई गुना बढ़ने की संभावना है।

आइएनएस विशाखापत्तनम : एक नजर

लंबाई : 163 मीटर

चौड़ाई : 17 मीटर

डिस्प्लेसमेंट : 7,400 टन

अधिकतम गति : 30 नाट

कर्मियों की क्षमता : 315

हथियार : अन्य अत्याधुनिक हथियारों, पनडुब्बी रोधी राकेटों व सेंसर्स के अलावा सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस

निर्माण : युद्धपोत में 75 फीसद से अधिक उपकरण स्वदेशी, मझगांव डाक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में निर्मित

आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण

इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि यह युद्धपोत आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण है। उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना के 41 युद्धपोतों एवं पनडुब्बियों के आर्डर में से 39 भारतीय शिपया‌र्ड्स को दिए गए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ ने भी कहा, 'हमारे पास अपनी सभी क्षमताओं को इस्तेमाल करने, नीतियों का लाभ लेने और देश को स्वदेशी पोत निर्माण का केंद्र बनाने का अवसर है।' उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में बदलते शक्ति संतुलन में आइएनएस विशाखापत्तनम भारतीय नौसेना की क्षमता में बढ़ोतरी करेगा।  


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