VIDEO: भारत का PM बनने को लेकर नेहरू की थी 'आत्मकेंद्रित सोच'- दलाई लामा
दलाई लामा ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरु ने इसे खारिज कर दिया था।
पणजी, प्रेट्र। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि जवाहर लाल नेहरू की भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने को लेकर एक 'आत्मकेंद्रित सोच' थी, जबकि महात्मा गांधी इस शीर्ष पद के लिए मुहम्मद अली जिन्ना के समर्थक थे। उन्होंने दावा किया कि अगर जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने की महात्मा गांधी की इच्छा पूरी हुई होती तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता।
गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कार्यक्रम में छात्रों के सवालों के जवाब में दलाई लामा ने कहा, 'मुझे लगता है कि सामंती व्यवस्था की बजाय लोकतांत्रिक प्रणाली कहीं ज्यादा अच्छी होती है। सामंती व्यवस्था में फैसले लेने का अधिकार कुछ लोगों में निहित होता है जो ज्यादा खतरनाक होता है। भारत में देखिए, मुझे लगता है कि महात्मा गांधी प्रधानमंत्री का पद जिन्ना को देना चाहते थे, लेकिन पंडित नेहरू ने इन्कार कर दिया। मुझे लगता है कि यह कुछ हद तक पंडित नेहरू की आत्मकेंद्रित सोच थी कि उन्हें प्रधानमंत्री बनना चाहिए। अगर महात्मा गांधी की सोच को अमलीजामा पहनाया जाता तो भारत और पाकिस्तान एक होते। मुझे अच्छी तरह पता है कि पंडित नेहरू बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कई बार गलतियां हो जाती हैं।'
चीन की ताकत उसका सैन्य बल
एक छात्र ने जब दलाई लामा से पूछा कि ऐसा कौन सा सबसे बड़ा डर है जिसका उन्होंने जीवन में सामना किया, तो उन्होंने बताया कि जब वह 17 मार्च, 1959 की रात अपने समर्थकों के साथ तिब्बत से निकल भागे थे तो उन्हें बस एक ही डर सता रहा था कि वह अगला दिन देख पाएंगे या नहीं। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि चीन की ताकत उसका सैन्य बल है। साथ ही उन्होंने कहा कि तिब्बती चीन के लोगों को कभी अपना दुश्मन नहीं मानते।
'दलाई लामा संस्था' अब प्रासंगिक नहीं
दलाई लामा ने कहा कि 'दलाई लामा संस्था' अब राजनीतिक रूप से प्रासंगिक नहीं रह गई है। अब यह तिब्बत के लोगों को तय करना है कि इस प्राचीन परंपरा को जारी रखना है अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि चीन की सरकार राजनीतिक कारणों से उनकी बजाय इस संस्था के प्रति ज्यादा चिंतित है। मालूम हो कि दलाई लामा एक उपाधि है जो तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक नेताओं को प्रदान की जाती है।
कौन होगा अगला दलाई लामा
अगले दलाई लामा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि विभिन्न बौद्ध परंपराओं के नेता हर साल नवंबर में तिब्बत में एक बैठक करते हैं। इस नवंबर में भी यह बैठक होगी। पिछली बैठक में उन्होंने फैसला किया था कि जब मेरी उम्र करीब 90 वर्ष हो जाएगी तो नेताओं का यह समूह अगले दलाई लामा के बारे में फैसला लेगा।
शिया-सुन्नी संघर्ष घटाने की कोशिश करें भारतीय मुस्लिम
भारतीय मुस्लिमों से शिया-सुन्नी संघर्ष घटाने की कोशिश करने की अपील करते हुए दलाई लामा ने कहा कि इस्लाम शांति का संदेश देने वाला धर्म है। उन्होंने कहा कि शिया और सुन्नी इस्लाम के दो प्रमुख पंथ हैं। पैगंबर मुहम्मद की 632 ईसवी में मृत्यु के बाद उनके रास्ते अलग हो गए थे, लेकिन फिर भी दुनियाभर के मुस्लिम एक ही कुरान को मानते हैं और दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं। इसके बावजूद वे एक दूसरे के खून के प्यासे हैं।
विशाल जनसंख्या के बावजूद भारत शांतिपूर्ण
उन्होंने कहा कि एक हजार साल पुराने धार्मिक सद्भाव के इतिहास की वजह से आधुनिक भारत में अधिकांशत: शांति रही है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कहा, 'इतनी विशाल जनसंख्या और लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद आधुनिक और स्वतंत्र भारत शांतिपूर्ण रहा है।'