नेहरू-जिन्ना पर विवादित बयान देकर दलाई लामा ने मांगी माफी
दलाई लामा ने शुक्रवार को कहा, मेरे बयान से विवाद हो गया है, अगर मैंने कुछ गलत कहा है, तो मैं क्षमा मांगता हूं।
नई दिल्ली, जेएनएन। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने महात्मा गांधी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर दिए अपने बयान को लेकर माफी मांगी है। अपने बयान पर विवाद बढ़ता देख दलाई लामा ने शुक्रवार को कहा, 'मेरे बयान से विवाद हो गया है, अगर मैंने कुछ गलत कहा है, तो मैं क्षमा मांगता हूं।'
क्या कहा था दलाई लामा ने
दलाई लामा ने बुधवार को कहा था कि जवाहर लाल नेहरू की भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने को लेकर एक 'आत्मकेंद्रित सोच' थी, जबकि महात्मा गांधी इस शीर्ष पद के लिए मुहम्मद अली जिन्ना के समर्थक थे। उन्होंने दावा किया कि अगर जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने की महात्मा गांधी की इच्छा पूरी हुई होती तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता। दलाई लामा ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरु ने इसे खारिज कर दिया था।
गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कार्यक्रम में छात्रों के सवालों के जवाब में दलाई लामा ने कहा, 'मुझे लगता है कि सामंती व्यवस्था की बजाय लोकतांत्रिक प्रणाली कहीं ज्यादा अच्छी होती है। सामंती व्यवस्था में फैसले लेने का अधिकार कुछ लोगों में निहित होता है जो ज्यादा खतरनाक होता है। भारत में देखिए, मुझे लगता है कि महात्मा गांधी प्रधानमंत्री का पद जिन्ना को देना चाहते थे, लेकिन पंडित नेहरू ने इन्कार कर दिया। मुझे लगता है कि यह कुछ हद तक पंडित नेहरू की आत्मकेंद्रित सोच थी कि उन्हें प्रधानमंत्री बनना चाहिए। अगर महात्मा गांधी की सोच को अमलीजामा पहनाया जाता तो भारत और पाकिस्तान एक होते। मुझे अच्छी तरह पता है कि पंडित नेहरू बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कई बार गलतियां हो जाती हैं।'