6 घंटे की सीडब्लूसी बैठक में खूब उछले आरोपों के कीचड़, सोनिया गांधी फिर बनीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष, जानें किसने क्या कहा
करीब छह घंटे तक चली सीडब्लूसी की बैठक का अंत इस सर्वसम्मत प्रस्ताव के साथ हुआ कि सोनिया गांधी के इस्तीफे की पेशकश को खारिज किया जाता है। वह अध्यक्ष पद पर बरकरार रहें।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस में बदलाव और सुधारों को लेकर उठ रही तेज आवाज और अरसे बाद हुई कवायद के बाद अब लगने लगा था कि सोमवार को होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) बैठक में इस पर कोई बड़ा फैसला होगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एकजुट फैसला हुआ कि सोनिया गांधी के कंधों पर ही पार्टी का बोझ डाला जाए। कम से कम तब तक जब तक एआइसीसी में कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता है। इतना ही नहीं बल्कि यह मांग भी उठी कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष बन जाएं।
सोच में अंतर हो सकता है लेकिन हमें साथ रहना चाहिए : सोनिया
सीडब्ल्यूसी बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि CWC की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा, हम बड़े परिवार का हिस्सा हैं। हमारी सोच में अंतर हो सकता है लेकिन हमें साथ रहना चाहिए। समय की मांग है कि हम जनता के लिए लड़ें और उन ताकतों से लड़ें जो देश को बर्बाद कर रही हैं। संगठनात्मक मुद्दों को हमेशा संबोधित किया जाता है। संविधान और पुनर्गठन की प्रक्रिया निरंतर होती है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने कहा कि मैं किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं रखती हूं, लेकिन, पार्टी की बात पार्टी फोरम पर ही कहनी चाहिए क्योंकि वह उन्हें परिवार का हिस्सा मानती है।
राहुल ने वरिष्ठ नेताओं पर भाजपा के साथ साठगांठ का आरोप जड़ा
बहरहाल, इससे पहले बैठक में तीर भी चले और हालात तब बेकाबू होने लगा, जब राहुल गांधी ने बदलाव का पत्र लिखने वाले वरिष्ठ नेताओं पर भाजपा के साथ साठगांठ का ही आरोप जड़ दिया। और प्रतिक्रिया में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने आरोप साबित होने पर इस्तीफे तक की पेशकश कर दी। विरोध स्वरूप कम से कम चार वरिष्ठ नेता कुछ देर के लिए वर्चुअल बैठक से लाग आउट भी कर गए। हालांकि बाद में लीपापोती हुई, राहुल ने हर किसी को फोन कर यह भी सफाई दी कि उनका आरोप उन लोगों के लिए था कांग्रेस के हितों की अनदेखी कर रहे हैं। वहीं सार्वजनिक रूप से कांग्रेस ने इस बात का खंडन किया कि राहुल ने ऐसी कोई बात की थी।
सोनिया गांधी के इस्तीफे की पेशकश खारिज
करीब छह घंटे तक चली सीडब्लूसी की बैठक का अंत इस सर्वसम्मत प्रस्ताव के साथ हुआ कि सोनिया गांधी के इस्तीफे की पेशकश को खारिज किया जाता है। वह अध्यक्ष पद पर बरकरार रहें। संभवत: जनवरी तक एआइसीसी की बैठक होगी और उसमें नए अध्यक्ष का चुनाव होगा। प्रस्ताव में अन्य बातों के साथ साथ इसका भी जिक्र हुआ कि पार्टी फोरम से परे होकर बात करना अनुशासनहीनता होगी और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बदलाव पर नहीं हुई कोई चर्चा
बताया जाता है कि बैठक में सभी नेताओं ने अपनी बात रखी। वरिष्ठ नेताओं के पत्र में जिस बदलाव की बात की गई थी, उस पर तो चर्चा नहीं हुई। इसका फैसला अध्यक्ष पर छोड़ा गया कि वह जैसा उचित समझें वैसा करें। जो वरिष्ठ तत्काल बदलाव की बात कर रहे थे उनके पास भी विकल्प नहीं था। दरअसल बैठक के अंदर ही कुछ नेताओं ने राहुल को फिर से अद्यक्ष बनाए जाने की मांग की। वरिष्ठों की ओर से सफाई दी गई कि वह गांधी परिवार या राहुल गांधी के खिलाफ नहीं है।
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राहुल ने जड़े आरोप
पर इससे पहले तब घमासान मचा जब राहुल ने चिट्ठी की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब सोनिया गांधी अस्वस्थ थीं और पार्टी जब मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में संघर्ष कर रही थी तब इस तरह की चिट्ठी लिखने का औचित्य क्या है। बताते हैं कि आवेश में आकर उन्होंने भाजपा से भी मिलीभगत का आरोप लगा दिया। तत्काल आजाद ने आरोप साबित करने की बात की तो सिब्बल ने ट्वीट कर सीधे तौर पर राहुल गांधी का नाम लिया और कहा कि वह भाजपा से मिलीभगत की बात करते हैं। जबकि लंबे राजनीतिक जीवन में कभी भी भाजपा का साथ नहीं दिया।
बाद में राहुल ने कहा, ऐसा कुछ नहीं कहा
हालांकि बाद में उन्होंने इसे हटा लिया और कहा कि राहुल ने साफ किया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद आजाद ने भी ट्वीट कर कहा कि राहुल ने ऐसा कुछ नहीं कहा। अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा कि उनका बयान सीडब्लूसी के बाहर बैठे कुछ नेताओं पर केंद्रित था जो ऐसी आधारहीन बातें करते हैं। बताते हैं कि राहुल ने इस बीच नेताओं से बात कर अपनी सफाई दी थी। बैठक में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बैठक की बातें भी बाहर लीक होने की बात कही। जाहिर तौर पर उनका इशारा इसी ओर था।
प्रियंका भी राहुल के साथ खड़ी दिखी
बैठक के बीच छिड़े इस विवाद में प्रियंका गांधी भी भाई राहुल के साथ खड़ी दिखी। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने भी चिट्ठी लिखने वाले पार्टी नेताओं को तगड़ी झाड़ लगाई और कहा कि पार्टी ने कभी ऐसा नहीं हुआ है। जो लोग ऐसा कर रहे है, वह ठीक नही है। उन्होंने कहा कि पार्टी जब राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में संघर्ष कर रही है, ऐसे में इस तरह के सवाल ठीक नहीं है।
बैठक में कांग्रेस नेताओं की बातें:-
अंबिका सोनी- ऐसे मौके पर पत्र लिखने की हरकत ठीक नहीं। यह अनुशासन के खिलाफ है। कार्रवाई होनी चाहिए। इतना कहकर वह रोने लगीं।
गुलाम नबी आजाद - हम गांधी परिवार और नेतृत्व के खिलाफ नहीं। पार्टी के मुद्दे को उठाकर कांग्रेस अध्यक्ष को लिख रहे हैं तो अनुशासनहीनता कहां है। यह पता करना चाहिए कि लीक कैसे हुआ।
एके एंटनी- सोनिया गांधी और राहुल गांधी अकेले भाजपा और नरेंद्र मोदी से लड़ रहे हैं। ऐसे वक्त में यह चिट्ठी बहुत क्रूर है।
मनमोहन सिंह- यह दर्दनाक है। राहुल और सोनिया का नेतृत्व कांग्रेस और देश की जरूरत है।
जितिन प्रसाद- गांधी परिवार के बिना लीडरशिप की बात नहीं हो सकती है राहुल कल की बजाय आज ही चाहें तो अध्यक्ष बन जाएं।
आनंद शर्मा- गांधी परिवार का हमसे ज्यादा लायल कौन हो सकता है। सारी जिंदगी हमने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए काम किया है। लेकिन मुद्दे की बात पार्टी में न करें तो कहां करें।
पी चिदंबरम- जिन लोगों ने पत्र लिखा वे भी वैसे ही भाजपा का विरोध करते हैं जैसे कि मैं या राहुल गांधी जी करते हैं। जब असंतोष होता है तभी परिवर्तन होता है। मैं यह नहीं कहता हूं कि सब कुछ ठीक है। समंदर में हमेशा लहरें होती हैं उसी तरह हमेशा असंतोष होता है। आज हमने कुछ मुद्दे बताए हैं। मुझे विश्वास है कि पार्टी आगे और मजबूत होगी।
पीएल पुनिया - CWC मीटिंग में कहा गया कि सभी को विचार रखने की आजादी है लेकिन इसे पार्टी फोरम पर चर्चा करना चाहिए। सोनिया गांधी जी ने कहा कि सभी परिवार का हिस्सा हैं और साथ मिलकर पार्टी को मजबूत कर सकते हैं।
रणदीप सुरजेवाला- पत्र लीक हुआ है यह गलत है। अभी भी कुछ लोग बैठक की खबर बाहर भेज रहे हैं। यह देखना होगा कि कौन लीक कर रहा है।
सुधार की मांग करने वाले नेताओं की आजाद के घर में बैठक
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के तत्काल बाद पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के घर में एक अहम बैठक की। इस बैठक में कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मुकल वासनिक और मनीष तिवारी शामिल हुए। ये उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की वकालत की थी और जिसके चलते पार्टी में भूचाल खड़ा हो गया था। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में दिल्ली में मौजूद कुछ अन्य ऐसे नेता भी शामिल हुए जो पत्र लिखने वालों में शामिल हैं। इन नेताओं ने कार्यसमिति की बैठक में पारित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया।