गरमा रहा राहुल को पीएम पद का प्रत्याशी बनाने का मुद्दा, डी राजा बोले- करना होगा विचार
स्टालिन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के एक शीर्ष नेता ने कहा कि सपा, तेदेपा, बसपा, तृकां और एनसीपी स्टालिन की घोषणा से सहमत नहीं हैं।
चेन्नई, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा कौन होगा? कांग्रेस के तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज करने के बाद ये मुद्दा फिर गर्म हो गया है। राहुल गांधी की दावेदारी भी अब विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में प्रबल होती नजर आ रही है। द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने तो राहुल गांधी के नाम को प्रस्तावित कर ही दिया है। वहीं सीपीआई के राज्यसभा सांसद डी राजा का कहना है कि सभी विपक्षी पार्टियों को स्टालिन के प्रस्ताव के बारे में सोचना चाहिए।
स्टालिन के बयान पर टिप्पणी करते हुए डी राजा ने कहा, 'द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने प्रस्ताव दिया है कि राहुल गांधी को 2019 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनना चाहिए। अन्य सभी पार्टियों, विशेष रूप से धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दलों, लेफ्ट पार्टियोंबा को इस मुद्दे पर विचार करना होगा। देखिए, आने वाले दिनों में चीजें कैसे सामने आती हैं।'
चेन्नई में एक कार्यक्रम में द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित करते ही यहां सियासी हलकों में हलचल पैदा हो गई। प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल के नाम की घोषणा का अभी किसी ने खुलकर विरोध तो नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक विपक्ष के नेता 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए किसी को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं। स्टालिन ने कहा, 'तमिलनाडु की धरती से मैं प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव करता हूं। राहुल गांधी के पास फासिस्ट नरेंद्र मोदी को हराने की क्षमता है। हम राहुल गांधी के हाथ को मजबूत करेंगे।' इस रैली में राहुल गांधी के साथ ही सोनिया गांधी, तेदेपा अध्यक्ष व आंध्र मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और केरल के सीएम पी विजयन समेत कई नेता मौजूद थे।
हालांकि, स्टालिन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के एक शीर्ष नेता ने कहा कि सपा, तेदेपा, बसपा, तृकां और एनसीपी स्टालिन की घोषणा से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री के बारे में फैसला होना चाहिए। दरअसल, विपक्ष अभी तक राहुल गांधी के नाम पर एकमत नहीं है। तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद कांग्रेस को बल जरूर मिला है, वहीं कुछ नेता राहुल गांधी के नेतृत्व के भरोसे 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने की सलाह भी दे रहे हैं। लेकिन ज्यादातर विपक्षी नेताओं को राहुल गांधी स्वीकार नहीं हैं। ऐसे में राहुल गांधी को विपक्ष को एकजुट करने और अपने पक्ष में लाने के लिए नई रणनीति पर जल्द ही काम करना होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है।