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MP By Election: अब असंतोष दबाने के लिए मध्य प्रदेश में निगम और आयोगों में होगी तैनाती

सोमवार को मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे के बाद ही जिस तरह विधायक अजय विश्नोई ने सिंधिया और शिवराज पर निशाना साधा उससे यह भी लगने लगा कि असंतोष दबा पाना बहुत आसान नहीं है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 09:40 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 09:55 PM (IST)
MP By Election: अब असंतोष दबाने के लिए मध्य प्रदेश में निगम और आयोगों में होगी तैनाती
MP By Election: अब असंतोष दबाने के लिए मध्य प्रदेश में निगम और आयोगों में होगी तैनाती

आनन्द राय, भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के मंत्रियों को विभाग बांटे जाने के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती असंतोष दबाने की है। खासकर सिंधिया समर्थक मंत्री और पूर्व विधायकों से चुनाव हारे हुए भाजपा के दिग्गज नेताओं को साधने की पहल शुरू होगी। आने वाले उपचुनाव को देखते हुए यह भाजपा की मजबूरी भी है क्योंकि किसी न किसी छोर से सिंधिया विरोधी आवाज भाजपाइयों की ही सुनाई पड़ रही है। संकेत मिले हैं कि नेतृत्व असंतोष दबाने के लिए जल्द ही निगम और आयोगों में तैनाती शुरू करेगा।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों को विभाग बांटने से एक दिन पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी को भाजपा में शामिल कराते ही नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष जबकि निर्दलीय विधायक और कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे प्रदीप जायसवाल को खनिज निगम का अध्यक्ष बना दिया। इन दोनों को शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया है। शिवराज ने इस तैनाती से कई समीकरण साधने के साथ ही यह भी संकेत दिया कि अब वह पार्टी के प्रमुख नेताओं का समायोजन शुरू करेंगे। हालांकि सोमवार को मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे के बाद ही जिस तरह विधायक अजय विश्नोई ने सिंधिया और शिवराज पर निशाना साधा, उससे यह भी लगने लगा कि असंतोष दबा पाना बहुत आसान नहीं है।

25 सीटों पर होंगे उपचुनाव, 23 इस्तीफों से रिक्त हुई

मप्र विधानसभा की 25 सीटों पर उपचुनाव होने हैं और इनमें 23 सीटें कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफा देने से खाली हुई हैं। इन क्षेत्रों में 2018 में कांग्रेसियों से जो भाजपाई दिग्गज हारे हैं उनकी टीस भी व्यापक है। वे लोग अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं और अपने-अपने क्षेत्र में कांग्रेस से आए नेताओं के उभार से अपनी जमीन खिसकने का खतरा भी महसूस कर रहे हैं। ऐसे में वे लोग भी अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए आधार तलाश रहे हैं।

पवैया, शेखावत और शेजवार जैसे नेताओं की बदल सकती है किस्मत

मंत्री न बन पाने की वजह से विधायक अजय विश्नोई, रामपाल सिंह, रमेश मेंदोला, यशपाल सिंह समेत कई नाम हैं जिनकी टीस किसी न किसी बहाने उजागर हो चुकी है, लेकिन, स्थायी सरकार के लिए शिवराज चौहान की पहली प्राथमिकता 25 सीटों का उपचुनाव जीतने की है। इसलिए वह उन नेताओं को मौका दे सकते हैं जो वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेसियों से हार चुके हैं और अब उन्हीं क्षेत्रों में उपचुनाव होना है। इनमें ग्वालियर में प्रद्युम्न सिंह तोमर से चुनाव हारे पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का नाम प्रमुख है जो पिछले दिनों लाख दबाते हुए अपनी टीस छिपा नहीं पाए और सिंधिया पर तीर चलाने से नहीं चूके।

इनके अलावा सांची में डॉ. प्रभुराम चौधरी से चुनाव हार चुके पूर्व नेता प्रतिपक्ष गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित शेजवार का भी नाम प्रमुख है। हाट पिपल्या में पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र पूर्व मंत्री दीपक जोशी और बदनावर में चुनाव हार चुके भंवर सिंह शेखावत का भी नाम लिया जा सकता है। इन सबने किसी न किसी बहाने अपनी पीड़ा जाहिर की है। इनके अलावा जातीय समीकरण दुरस्त करने में भी सांवेर के डॉ. राजेश सोनकर, सुवासरा के राधेश्याम पाटीदार जैसे कुछ नेताओं को साधा जा सकता है। हालांकि भाजपा के ही एक प्रमुख नेता का कहना है कि उपचुनाव तक नेतृत्व विधानसभा क्षेत्रों में दो ध्रुव नहीं उभरने देगा। इससे कार्यकर्ताओं में ही गोलबंदी शुरू होगी लेकिन भाजपा में ही कई वरिष्ठों का तर्क है कि बिना यह उपाय अपनाए उपचुनाव की चुनौती से पार नहीं पाया जा सकता है।

विजयवर्गीय बोले-प्रदेश इकाई व निगम-मंडलों में होगी नियुक्तियां

मध्य प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय पूछे जाने पर कहते हैं कि मंत्रिमंडल पूरी तरह संतुलित है और विभागों का बंटवारा भी सही ढंग से हुआ है। किसी तरह के असंतोष का सवाल ही नहीं है। यह जरूर है कि प्रदेश इकाई और निगम, मंडलों में अब जल्द ही नियुक्तियां होंगी और इसमें उपयोगी और सक्षम भाजपा कार्यकर्ताओं को मौका मिलेगा।


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