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कांग्रेस की दमदार वापसी, पर पूर्वोत्तर हुआ कांग्रेस मुक्त

लोकसभा चुनाव के पहले सेमीफाइनल माने जाने वाले पांच राज्यों के चुनाव में बाजी कांग्रेस के हाथ रही। भाजपा अपना खाता तक खोलने में विफल रही।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 10:00 PM (IST)
कांग्रेस की दमदार वापसी, पर पूर्वोत्तर हुआ कांग्रेस मुक्त
कांग्रेस की दमदार वापसी, पर पूर्वोत्तर हुआ कांग्रेस मुक्त

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लोकसभा चुनाव के पहले सेमीफाइनल माने जाने वाले पांच राज्यों के चुनाव में बाजी कांग्रेस के हाथ रही। भाजपा अपना खाता तक खोलने में विफल रही।

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वैसे तो मिजोरम की करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस का भले पूर्वोत्तर में पूरी तरह सफाया हो गया लेकिन एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जीत कर पार्टी ने हिंदी बेल्ट में जबरदस्त वापसी की है। भाजपा से सीधी लड़ाई में कांग्रेस की जीत ने यह भी लगभग स्पष्ट कर दिया है कि अब कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले राहुल गांधी को सामने खड़ा कर सकती है।

छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के नतीजे तो दोपहर तक साफ हो गए। शाम तक राजस्थान का भी मुकाबला साफ हो गया। लेकिन मध्यप्रदेश को लेकर देर शाम तक भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं की सांसे थमी रही।

जहां एक ओर छत्तीसगढ़ में 15 साल से मुख्यमंत्री रमन सिंह सत्ता विरोधी लहर के सामने टिक नहीं सके। वहीं, चुनावी पूर्वानुमानों में बुरी हार की भविष्यवाणी को धता बताकर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी। जबकि अंतिम आंकड़े भले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ रहे हों, लेकिन वे सत्ताविरोधी लहर को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहे।

पांच राज्यों के नतीजों से लोकसभा चुनाव के पहले विपक्ष की राजनीति को नई धार भी मिल गई है। गुजरात में कड़ी टक्कर देने और कर्नाटक में भाजपा के सत्ता तक पहुंचने से रोकने के बाद कांग्रेस ने साबित कर दिया कि वह मुकाबले में हैं और भाजपा को सीधी टक्कर में यह और बात है कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ को छोड़कर बाकी दो राज्यों में सबकुछ पक्ष में होते हुए भी मशक्कत करनी पड़ी।

शायद यही कारण है कि भाजपा को मात देने के लिए नए-नए समीकरणों की तलाश में जुटे विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस की इस जीत का जोरदार स्वागत किया। वहीं भाजपा के खिलाफ मुखर रहने वाले राजग की सहयोगी शिवसेना ने इसे भाजपा के अंत की शुरूआत तक करार दे दिया।

जाहिर है प्रधानमंत्री के खिलाफ अपने आरोपों पर अडिग रहने वाले राहुल गांधी मोदी विरोधी राजनीति की नई धुरी के रूप में उभरे हैं। वोटों की गिनती के दौरान जिस तरह से सपा ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया, उससे साफ है कि दोनों दल कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन के लिए तैयार हैं। लेकिन जिस तरह विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पायी, वैसी स्थिति लोकसभा चुनाव के दौरान आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

विधानसभा चुनाव परिणामों ने लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में नई संजीवनी जरूर फूंकी है। लेकिन भाजपा को पूरी तरह खारिज नहीं किया है। भाजपा ने अपने प्रदर्शन से साबित कर दिया है कि 15 सालों की सत्ता के बावजूद मध्यप्रदेश से उसे खारिज नहीं किया जा सकता है।

इसी तरह बुरी हार की तमाम आशंकाओं को दरकिनार राजस्थान में कड़ी टक्कर देकर भाजपा ने यह भी दिखा दिया कि उसके पास चुनाव में वापसी का मादा अब भी बरकरार है। साफ है कि नतीजे भाजपा के लिए कड़ी चेतावनी जरूर है, लेकिन लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए मोदी को शिकस्त देने का मंसूबा दूर की कौड़ी भी साबित हो सकता है।


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