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राफेल पर कांग्रेस का नया सवाल, डील सस्ती तो फिर कम विमान क्यों खरीदे

पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी ने प्रेस कांफ्रेंस में राजग सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा व रक्षा तैयारियों के साथ गंभीर खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 08:58 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 08:58 PM (IST)
राफेल पर कांग्रेस का नया सवाल, डील सस्ती तो फिर कम विमान क्यों खरीदे
राफेल पर कांग्रेस का नया सवाल, डील सस्ती तो फिर कम विमान क्यों खरीदे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राफेल विमान सौदे में गड़बड़ी को लेकर हमलावर कांग्रेस ने अब राजग सरकार पर सौदे से जुड़े तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाया है। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संप्रग से कम कीमत पर राफेल विमान खरीदने के सरकार के दावों को खारिज करते हुए कहा कि अगर यह सच है तो सरकार कीमत का खुलासा क्यों नहीं कर रही। सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग दोहराते हुए एंटनी ने कहा कि अगर सस्ते में सौदा हुआ है तो 126 की जगह सरकार ने केवल 36 विमान ही क्यों खरीदे?

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पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी ने प्रेस कांफ्रेंस में राजग सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा व रक्षा तैयारियों के साथ गंभीर खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, सरकार जिस तरह राफेल की कीमत का खुलासा नहीं कर रही उससे साफ है कि इस सौदे के कई छुपे रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है। रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और कानून मंत्री के संप्रग के मुकाबले राजग के नौ से 20 फीसद कम कीमत पर सौदा करने के दावों को गलत बताते हुए एंटनी ने कहा कि यह डील इतनी ही सस्ती हुई तो फिर सरकार ने वायुसेना की जरूरत के हिसाब से 126 विमान क्यों नहीं खरीदे।

वायुसेना को पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए इनकी जरूरत है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ है। सौदे के किफायती होने के राजग के दावों को खारिज करते हुए एंटनी ने कहा कि वह सरकार को चुनौती देते हैं कि वह संप्रग के समय तय हुए मूल्य और मौजूदा कीमत दोनों का खुलासा करे। सरकार के पास दोनों सौदों के दस्तावेज हैं तो फिर वह कीमतों का खुलासा करने से क्यों डर रही है?

उपकरणों और साजो-सामान के दावे को नकारा
राफेल जेट में वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से उपकरणों और साजो-सामान लगाने की वजह से कीमतें बढ़ने के राजग सरकार के स्पष्टीकरण को भी एंटनी ने नकार दिया। उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद ने राफेल सौदा किया की तो दोनों के संयुक्त बयान में साफ कहा गया था कि यह सौदा भारतीय वायुसेना की बताई जरूरतों के हिसाब से ही हुआ है। उनके अनुसार, जब संप्रग के समय तय वायुसेना के मानकों के हिसाब से सौदा हुआ है तो फिर 526 करोड़ की तुलना में कीमतें तीन गुनी से ज्यादा कैसे बढ़ गई।

एचएएल की प्रतिष्ठा गिराई
राफेल सौदे के ऑफसेट कांट्रेक्ट से हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बाहर होने के लिए भी एंटनी ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर एचएएल की प्रतिष्ठा देश व दुनिया में गिराने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि जिस सरकारी कंपनी एचएएल ने 4,500 के करीब विमान बनाए हैं उसके बारे में रक्षामंत्री का यह कहना घोर आपत्तिजनक है कि वह 110 जेट बनाने में सक्षम नहीं है।

जांच की मांग को बताया जायज
जेपीसी से जांच की मांग को जायज ठहराते हुए पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि जब लोकसभा में सरकार का बहुमत है तो फिर वह इस जांच से क्यों भाग रही है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राफेल सौदे की शिकायत सीवीसी से करने के सवाल पर कहा कि सीवीसी और कैग दोनों को इस डील से जुड़े कागज मंगाकर इसकी पड़ताल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थाएं अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करेंगी पार्टी को ऐसी अपेक्षा और उम्मीद है।


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