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दिल्ली हिंसा पर गरमा सकता है बजट सत्र, कांग्रेस करेगी अमित शाह के इस्तीफे की मांग

बजट सत्र का दूसरे चरण काफी गरमा गर्मी वाला होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक इस सत्र में कांग्रेस अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर सकती है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 03:22 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 03:22 PM (IST)
दिल्ली हिंसा पर गरमा सकता है बजट सत्र, कांग्रेस करेगी अमित शाह के इस्तीफे की  मांग
दिल्ली हिंसा पर गरमा सकता है बजट सत्र, कांग्रेस करेगी अमित शाह के इस्तीफे की मांग

नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस सोमवार को शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएगी। साथ ही कथित पुलिस चूक पर गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करेगी। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के सोमवार को दिल्ली में हिंसा पर बहस की मांग करते हुए संसद के दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव  प्रस्तुत करने की संभावना है।

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सरकार से करेंगे सवाल

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पार्टी दिल्ली के दंगे हिंसा के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएगी और पूछेगी कि हिंसा क्यों हुई। उन्होंने कहा कि सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में बुरी तरह विफल रही है। उन्होंने मीडिया से कहा कि मुझे लगता है कि दंगाइयों और पुलिस अधिकारियों के एक समूह के बीच किसी तरह की सांठगांठ होनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप भीषण हत्याएं और आगजनी हुईं जिसने दुनिया भर में हमारी छवि को धूमिल किया है। यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है।

अमित शाह के इस्तीफा की करेंगे मांग

चौधरी ने कहा, हम सदन में गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठाते रहेंगे। संसद के अंदर या बाहर विरोध का तरीका समन्वित रणनीति का विषय है न कि सार्वजनिक रूप से प्रसारित होने वाला मुद्दा। लेकिन देश को आश्वासन दिया जाता है कि हम अत्यधिक और अवैध घुसपैठ और उत्पीड़न के बावजूद अपनी जिम्मेदारियों का सख्ती और बिना किसी डर के निर्वहन करेंगे।

पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से आग्रह किया कि दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान गृह मंत्री शाह से उनके इस्तीफा देने और केंद्र को "राज धर्म" की याद दिलाने का आग्रह करें। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने भी पिछले हफ्ते इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया था और एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और दिल्ली दोनों सरकारों से जवाब मांगा था। जबकि दिल्ली के लोगों से भी आग्रह किया था नफरत की राजनीति को खारिज करें।


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