चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव से दूर रहेगी कांग्रेस
पार्टी सूत्रों के अनुसार येचुरी ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने जैसे बेहद गंभीर विषय पर बयान देने से पहले कांग्रेस के रणनीतिकारों से कोई चर्चा नहीं की है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के किसी प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी। माकपा नेता सीताराम येचुरी के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के बयान पर कांग्रेस ने दूसरे विपक्षी दलों से चर्चा की बात जरूर कही है। मगर पार्टी से मिले अंदरुनी संकेतों से साफ है कि येचुरी के महाभियोग प्रस्ताव को कांग्रेस अपना सियासी कंधा नहीं देगी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार चार वरिष्ठ जजों के उठाए मुद्दों के तार्किक के लिए इन्हें बेहद सधे तरीके से जीवंत बनाए रखने की सियासी रणनीति तक तो बात ठीक है। मगर राजनीतिक रुप से शीर्ष न्यायपालिका से सीधे भिड़ने को पार्टी न उचित मान रही है और न ही अभी इसकी जरूरत समझ रही है। कांग्रेस का यह भी मानना है कि येचुरी की राय मान चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया भी जाता है तो इस पर राजनीतिक सहमति की गुंजाइश नहीं है। सरकार की तरफ से ऐसे किसी प्रस्ताव का विरोध किया जाएगा। पाटीॅ सूत्रों ने कहा कि सरकार के विरोध को देखते हुए महाभियोग प्रस्ताव का गिरना तय है तो फिर अपना हाथ जलाने की गलती कांग्रेस नहीं करेगी।
कांग्रेस ने आधिकारिक रुप से भी महाभियोग प्रस्ताव लाने को लेकर सीधी टिप्पणी से परहेज किया। येचुरी के बयान के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने कहा कि माकपा नेता की ओर से कुछ अहम मुद्दे उठाए गए हैं। राज्यसभा और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता इस बारे में सभी विपक्षी दलों के नेताओं से मशविरा करेंगे और उसके बाद वे इसको लेकर पार्टी का नजरिया साफ करेंगे। येचुरी के प्रस्ताव पर विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत क्या मामले का राजनीतिकरण नहीं है, कांग्रेस प्रवक्ता ने इस पर कहा कि हम न्यायपालिका को राजनीति में कभी नहीं घसीटेंगे। न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र का बेहद अहम स्तंभ है और विपक्ष की दूसरी पार्टियों से आपसी चर्चा का मतलब राजनीतिकरण नहीं है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार येचुरी ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने जैसे बेहद गंभीर विषय पर बयान देने से पहले कांग्रेस के रणनीतिकारों से कोई चर्चा नहीं की है। मगर माकपा महासचिव के राजनीतिक कद को देखते हुए कांग्रेस सीधे तौर पर उनके प्रस्ताव को खारिज नहीं करना चाहती। येचुरी के इस बयान को कांग्रेस माकपा की अंदरुनी लड़ाई से भी जोड़ कर देख रही है। माकपा पोलित ब्यूरो की बैठक में प्रकाश करात गुट से मात खाये येचुरी पार्टी की सियासी रणनीति को अपने हिसाब से आगे बढ़ाने का संदेश देना चाहते हैं। कांग्रेस में उनके महाभियोग संबंधी बयान को इस लिहाज से भी तौला जा रहा है।
संसद का मौजूदा गणित भी विपक्ष को महाभियोग प्रस्ताव लाने से रोकता है। राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव के लिए 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत है तो लोकसभा में 100 सांसद के हस्ताक्षर चाहिए। ऐसे में कांग्रेस के समर्थन के बिना किसी सदन में महाभियोग प्रस्ताव लाना संभव नहीं होगा और पार्टी के संकेतों से साफ है कि ऐसा करने का उसका कोई इरादा नहीं है।